निम्नलिखित किसी एक विषय पर 150 शब्दों में निबंध लिखिए
51. अगर बचपन लौट आए
विचित्र कल्पना- पढ़ाई का बोझ कम हो जाए- शरारत करने के मौके मिले इच्छाएं पूरी हो जाएं - आर्थिक लाभ- ऐसा भाग्य कहा?
Answers
Explanation:
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Explanation:
अगर बचपन लौट आए तो....
हमारी कल्पना भी कितनी अजीब है, की हमारा बचपन लौट आये। ये तो नहीं हो सकता की बचपन लौट आये लेकिन हम बचपन की यादों में वापिस जा सकते है। एक बार जो समय बीत जाता है, वह वापिस तो नहीं आ सकता है। लेकिन हमारे जीवन में यादें, एक ऐसा शब्द है जिसे हम किसी भी समय पर वापिस ला सकते है। फ़िर भी यदि ऐसा कुछ चमत्कार हो जाए और हम फ़िरसे अपने बचपन में चले जाए तो सचमुच बड़ा मजा आ जाए। बचपन में पढ़ाई का टेंशन ही नहीं होता, यही सबसे बड़ी खुशी है।
बचपन में पढ़ाई का टेंशन कम हो जाए :
अभी तो में कॉलेज में हु और में 19 साल का हो चुका हु। आज हमारे सिर पर पढाई का जो बोझ है वो कितना सहन करना पड़ता है। लेकिन अगर बचपन लौट आये तो पढाई का बोझ कम हो जाए। न गणित, विज्ञान, समाजशास्त्र जैसे विषयों को पढ़ना पड़े। उनके लंबे लंबे और बड़े प्रश्नो को हल करना पड़े। उनसे पूरा छुटकारा मिल जाए। न सुबह जल्दी उठके स्नान करने का, न स्कूल जाने के लिए जल्दी तैयार होने का। मै बचपन में वैसे मेरे गाँव की स्कूल में पढ़ता था। वहाँ सुबह दस बजे स्कूल जाने का समय था। हम छोटे छोटे बच्चे सब साथ में स्कूल जाते और मासुमियत भरी बाते करते। स्कूल जाते समय अगर रास्ते में कोई ट्रक या वेन दिखाई देती तो हम छुप जाते क्युंकि गाड़ी को देख के लगता की पक्का ये चोर की गाड़ी है और हमें उठा ले जाएँगे। ये डर बचपन का बड़ा ही याद आता है। फ़िर स्कूल के वह खेल, स्कूल के वह त्योहारों को मनाना, स्कूल में दोपहर का भोजन बड़ा मजा आता था। स्कूल की परीक्षा का कोई टेंशन नहीं था क्योंकि हमारे शिक्षक ही पेपर लिखवाते थे। बचपन का सबसे हसीन पल है तो वह हमारा प्राथमिक स्कूल का जीवन
बचपन की शरारते :
सबसे प्यारी उम्र बचपन की ही होती है। हमारा बचपन सुबह के सुनहरे सूरज के भाँति था। सूरज की वह हल्की हल्की किरने जैसा हमारा बचपना कितना हसीन था? अगर कभी समय मिले तो अपने बचपन के बारे में सोचना, आपके आँखों में आँसु न आए तो बोलना। यदि बचपन हमारा लौट आए तो वह मस्ती फ़िरसे वापस आ जाए। पुरा दिन बाल मित्रो के साथ बस खेलता ही रहु, खेलता ही रहु। किसीके फलो के बाग़ीचे में से आम, चीकू, अनार, जामुन आदि कई फल तोडू। फ़िर वहाँ का मालिक हमारे पीछे दौड़े और में इतना तेज़ भागु की उसे पकड़ने ही नहीं दु। बचपन में मिठाई को छुपकर खाने का मजा कुछ और होता है। आज घर में किसीसे कुछ माँगना हो तो हिचकिचाते है। लेकिन अगर बचपन में तो जिद पकड़के कुछ ना कुछ मांग ही लेते थे और यदि जिद पूरी ना हो तो रूठ जाते थे। उसके बाद परिवार के सब लोग मनाते और अपनी गोद में उठाकर तुरंत मेरी इच्छा पूरी करते। लेकिन वो बचपन की माँगे बड़ी मासूम हुआ करती थी। बचपन में अगर कोई हमें 10 रुपए की नोट देता तो मै न लेता क्युकी बचपन में सिक्को से प्यार था। कोई एक रुपया भी दे देतो बड़े ख़ुश हो जाते। कभी कभी जिद पे आ जाते सिक्को के लिए तो। बचपन में त्योहार मनाने का मजा आ जाता है। दादा दादी से कहानिया सुनने का बड़ा मजा आता था।
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