Hindi, asked by 1157684, 6 hours ago

निम्नलिखित काव्या
चींटी है प्राणी सामाजिक वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक । देखा चींटी को? उसके जी को? भरे बालों की सी कतरन छिपा नहीं उसका छोटापन वह समस्त पृथ्वी पर निर्भय विचरण करती श्रम में तन्मय वह जीवन की चिनगी अक्षय ।। वह भी क्या देही है, तिल-सी? प्राणों की झिलमिल झिलमिल सी? दिनभर में वह मीलों चलती
अथक, कार्य से कभी न टलती।

1. कवि ने चींटी को श्रमजीवी क्यों कहा है?
2. 'भूरे बालों की-सी कतरन' माध्यम से कवि किस ओर संकेत करता है ?
3. काव्यांश से चींटी की किस विशेषता का पता चलता है?

Answers

Answered by dhanilimno
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Answer:

1. वह सदैव श्रम में लीन रहकर जीती है

2. चींटी के लघु आकार की ओर

3. वह अथक काम करने वाली है

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