निम्नलिखित काव्य पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए:-
17 वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है ।
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और ये किस कविता से लिया गया है? ये पंक्ति राष्ट्र कवि मैथिलि शरण गुप्त जी के प्रसिद्ध खण्ड काव्य 'भारत-भारती' से ली गयी है। " हाँ, वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है, ऐसा पुरातन देश कोई विश्व में क्या और है? भगवान की भव-भूतियों का यह प्रथम भण्डार है; विधि ने किया नर-सृष्टि का पहले यहीं विस्तार है।।"
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