Hindi, asked by sujalaradwad12, 7 months ago

निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का अर्थ लिखिए :
गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़-गढ़ कादै खोट |
अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट ||​

Answers

Answered by munafk187
2

Explanation:

संसारी जीवों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करते हुए शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं- गुरु कुम्हार है और शिष्य मिट्टी के कच्चे घडे के समान है।

जिस तरह घडे को सुंदर बनाने के लिए अंदर हाथ डालकर बाहर से थाप मारता है ठीक उसी प्रकार शिष्य को कठोर अनुशासन में रखकर अंतर से प्रेम भावना रखते हुए शिष्य की बुराईयो कों दूर करके संसार में सम्माननीय बनाता है।

Answered by avanishsd86
1

Answer:

this is so easy question so I don't answer

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