निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
कैसी करौ; कहाँ जाऊँ, कासे कहँ, कौन सुनै.,
कोऊ तो निकासो, जासै दरद बढ़े नहीं।
ऐरीगेरी बीर! जैसे-तैसे इन आँखिन तैं।
कढ़िगो अबीर, यै अहीर तो करै नहीं।
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Abyibhav alankar
Khadi boli
Vatsalya ras
Bhakti ras
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