Hindi, asked by archana18kohad, 1 month ago

निम्नलिखित काव्या पंक्तियों का सन्दर्भ सहित भावार्थ लिखिए​

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Answered by kakadrajshri
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संदर्भ :- यह कविता कि पंक्तीया सूर्यकांत त्रिपाठी कि कविता ध्वनी से ली गई हैं |

भावार्थ :- उपयुक्त पंक्तियों में कवि जीवन से आलस को दूर भगाने की बात कहते हैं तथा कवि कर्म का परिचय देते हैं।

व्याख्या – प्रस्तुत पद्यांश में कवि प्रकृति के द्वारा निराश-हताश लोगों के जीवन को खुशियों से भरना चाहते हैं। वे कहते हैं-मैं एक-एक फूल से आलस्य को खींच लूँगा अर्थात मैं आलस में पड़े युवकों के मन में नए जीवन का अमृत प्रसन्नता से भर दूँगा।कवि प्रकृति के द्वारा निराश-हताश लोगों के जीवन को खुशियों को भरना देना चाहते हैं। कवि खुशी-खुशी से यह कार्य करना चाहते हैं और हर युवा जाति के भीतर एक नया जोश भर देना चाहते हैं उनके आलस को दूर कर देना चाहते हैं। जिससे प्रेत्यक मानव सुखमय जीवन जी सके। अर्थात् मनुष्य को जीवन जीने कि कला सिखाना चाहते हैं ताकि वे प्रसन्नतापूवर्क अपने जीवन में आए दुखों से पार हो सके और साहसपूवर्क जीवन जी सके। कवि का यह मानना है युवा पीढ़ी अब अपने आलस को दूर कर अगर परिश्रम करेगी तो वह र्स्वग को भी पा लेगें। जो ईश्वर को प्राप्त कर लेता है उसका अंत नहीं होता। इसका अर्थ यह है जो जीवन की जो वास्तविकता का आनंद उठते हैं खुशी-खुशी हर मुश्किल से पार पाते हैं उसका अंत कभी नहीं हो सकता। कवि कहते है जब तक वो नई पीढ़ी को राह नहीं दिखा, सही दिशा ज्ञान नहीं दे देगें तब तक उनका अंत नहीं हो सकता। क्योंकि कवि अभी जीवन में यह ठाना है कि जब तक वह युवा पीढ़ी को सही राह नहीं दिखा देगें तब तक उनका अंत नहीं होगा।

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Answered by amikkr
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संदर्भ  - प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ  ‘ध्वनि’ नामक कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं।

प्रसंग -  इन पंक्तियों में कवि पुष्पों यानि नवयुवको के अंदर के आलस्य को दूर करके उन्हें अपने जीवन रूपी  अमृत से सींचना चाहता है ताकि वे अनंतकाल तक खिलकर अपना सौंदर्य बिखेरते रहें।

व्याख्या - कवि रातभर सोए और अलसाये , रहनेवाले प्रत्येक पुष्प नवयुवक नींदभरी आँखों से आलस्य को दूर करना चाहता है अर्थात कवि उनका आलस्य दूरकर उन्हें और जागरूक बनाना चाहता है। कवि उन पुष्पों को हरा-भरा बनाए रखने के लिए उन्हें अपने नवजीवन के अमृत से सींचना चाहता है। कवि अपने जीवन में भी आशा एवं उत्साह का संचार करके रचनात्मक कार्य करना चाहता है। अभी उसे जीवन में बहुत-से काम करने हैं। वह प्रत्येक पुष्प अर्थात हर नवयुवक से उसका आलस्य छीन लेना चाहता है। उसे उत्साहित करना चाहता है। कवि का अंतर्मन चाहता है कि जिस प्रकार से फूल खिलकर अनंतकाल तक अपनी महक एवं सौंदर्य विखेरते हैं उसी प्रकार देश का प्रत्येक युवक भी अपने रचनात्मक कार्यों के सौंदर्य को वसंत के सौंदर्य की भांति चारो और अनंतकाल बिखेरता रहे।

जीवन में आशा एवं उत्साह से भरपूर कवि इन फूलों को अपने जीवन का द्वार दिखा देना चाहता है, ताकि फूलों के समान उसका जीवन भी महक उठे। कवि के जीवन में अभी वसंत का आगमन हुआ है और उसका अभी अंत नहीं होगा।

विशेष -

  • पुष्प-पुष्प’ में पुनप्तक्ति प्रकाश अलंकार
  • ‘नव जीवन का अमृत’ में रूपक अलंकार है।
  • कवि के कल्पनाशील होने और रचनात्मक होने का प्रमाण मिलता है |
  • काव्यांश की भाषा तत्सम ( पुष्प, द्वार , अनंत, अमृत ,सहर्ष) शब्दों से  युक्त  है |

   #SPJ2

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