निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में कौन-से अलंकार हैं? लिखिए।
1. नभ पर चमचम चपला चमकी।
2. आवत जात कुंज की गलियन रूप सुधा नित पीजै।
5. बहुत काली सिल ज़रा-से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो।
1. सब प्राणियों के मत्त मनोमयूर अहा नाच रहा।
5.निर्मल तेरा नीर अमृत के सम उत्तम है।
1. बल विवेक दम परहित घोरे, छमा कृपा समता रजु जोरे।
7. विज्ञान-यान पर चढ़ी सभ्यता डूबने जाती है।
8. नभमंडल छाया मरुस्थल-सा, दल बाँध के अंधड़ आवै चला।
9. वह बाँसुरी की धुनि कानि परै, कुल कानि हियो तजि भाजति है।
10. को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के वीर।
11. सिर फट गया उसका मानो अरुण रंग का घड़ा हो।
12. प्रात: नभ था, बहुत नीला शंख जैसे।
13. मंगन को देख पट देत बार बार है।
14. देख लो साकेत नगरी है यही,
स्वर्ग से मिलने गगन को जा रही।
15. तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के |
16. राम रूप राकेस निहारी। बढ़त बीचि पुलकावलि भारी।।
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plz translate it into English language then I will answer your question
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यहां पर 'च' की आवृत्ति होने से यह anupras अलंकार है।।।
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