निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित अलंकार भेद बताइए-
(i) हैं किनारे कई पत्थर पी रहे चुपचाप पानी।
(ii) मखमल की झुल पड़ा, हाथी-सा टीला।
(iii) आए महंत -वसंत।
(iv) यह देखिए अरविंद से शिशु बंद कैसे सो रहे।
(v) दृग पग पोंछन को करे भूषण पायंदाज।
(vi) दुख है जीवन के तरुफूल।
(vii) एक रम्य उपवन था, नंदन वन-सा सुंदर
(viii) तेरी बरछी में बर छीने है खलन के।
(ix) चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में।
(x) अंबर-पनघट में डूबो रही घट तारा ऊषा नागरी।
(xi) मखमली पेटियाँ-सी लटकी, छीमियाँ छिपाए बीज लड़ी।
(xii) मज़बूत शिला-सी दृढ़ छाती।
(xiii)) राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।
(xiv) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर बारौं।
(xv) कढ़त साथ ही ते, ख्यान असि रिपु तन से प्रान
(xvi) खिले हज़ारों चाँद तुम्हारे नयनों के आकाश में।
(xvii) घेर घेर घोर गगन धाराधर ओ।
(xviii) राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।
(xix) सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुझ पर झरते हैं।
(xx) जो नत हुआ, वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झरकर कुसुम।
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1. मानवीकरण
2. रूपक अलंकार
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