निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचान कर लिखिए-
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही।
बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
सहस्त्रबाहु भुज छेद निहारा।।
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परशुराम ने अपने बारे में कहा कि मैं बचपन से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करता आया हूँ। मेरा स्वभाव अत्यंत क्रोधी है। मैं क्षत्रियों का विनाश करने वाला हूँ, यह सारा संसार जानता है। मैंने अपनी भुजाओं के बल पर पृथ्वी को अनेक बार जीतकर ब्राह्मणों को दे दिया। सहस्त्रबाहु की भुजाओं को काटने वाले इस फरसे के भय से गर्भवती स्त्रियों के गर्भ तक गिर जाते हैं। इसी फरसे से मैं तुम्हारा वध कर सकता हूँ।
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