निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (08)
नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ ए दास तुम्हारा ।।
आयेसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाई बोले मुनि कोही ।।
सेवकु सो जो करे सेवकाई आरिकरती करि करिअ लराई।।
सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो पिरपु मोरा ।।
सो बिलगाउ बिहाई समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा ।।'
सुनि मुनिवचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अवमाने ।।
बहु धनुही तोरी लरकाई। कबहुँ न आसि रिस कीन्हि गोसाई।।
क. किसकी सभा में किसका धनुष तोड़ा गया ? और क्यों ?
ख. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर कौन से तर्क दिए।
ग. परशुराम ने सभी राजाओं के समक्ष राम और लक्ष्मण को क्या कहा ?
घ. प्रस्तुत पंक्तियाँ कहाँ से ली गई है और इसके रचयिता कौर है ?
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