Hindi, asked by MrAashishpali, 6 months ago

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
कविता एक खिलाना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने
बाहर भीतर इस घर उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने 1_कविता एक खिलना है फुल के बहाने आशय स्पष्ट कीजिए? 2_कविता का खिलना भला फूल क्या जाने के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है? 3_इस प्रधान का मूल आशय स्पष्ट कीजिए?
4_बिना मुरझाए बाहर भीतर कौन महकता है स्पष्ट कीजिए?
5_उपयुक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है पाठ का नाम एवं उनके कवि का नाम लिखिए?​

Answers

Answered by akhileshjoshi751
8

Answer:

फूलों के खिलने के बहाने कवि ने कविता के अंदर की चिरंतनता को प्रमाणित किया है। फूल खिलता अवश्य है, किन्तु समय के साथ वह मुरझा जाता है। उसका सुंदर रूप तथा सुगंध समय की दया पर आश्रित होता है। उसके खिलने की उम्र बहुत छोटी होती है। इसके विपरीत कविता ऐसा फूल है, जिसका आकर्षण युगों तक बना रहता है। इसकी महक दूर-दूर तक फैलती है। इसका कारण यही है कि फूल एक क्षणिक प्राकृतिक घटना है और कविता मानव हृदय की चिरंतन भावधारा है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ती जाती है। कभी मुरझाती नहीं

Explanation:

ye sahi hai na

Answered by bhatiamona
22

1_कविता एक खिलना है फुल के बहाने आशय स्पष्ट कीजिए?

उत्तर: कविता एक खिलना है फुल के बहाने का आशय कवि की कल्पना , फूलों की तरह खिलती है लेकिन फूलों के खिलने की एक सीमा होती है| फूल एक समय के बाद खिलने के बाद मुरझा जाता है| कविता की महक लम्बे समय तक पाठकों के दिन और महकती है|

2_कविता का खिलना भला फूल क्या जाने के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर:कविता का खिलना भला फूल क्या जाने के माध्यम से कहना चाहता है कि फूल कुछ समय के बाद मुरझा जाता है और कविता की महक कभी भी समाप्त नहीं होती है|

3_इस प्रधान का मूल आशय स्पष्ट कीजिए?

उत्तर: कवि कविता में कविता की कवि उड़ान की तुलना चिड़ियाँ की उड़ान से की गई है| चिड़ियाँ की की सीमा है और कवि के कविता की कोई सीमा नहीं है|

4_बिना मुरझाए बाहर भीतर कौन महकता है स्पष्ट कीजिए?

उत्तर : बिना मुरझाए बाहर कविता की महक हमेशा रहती है| कविता की महक कभी भी खत्म नहीं होती है| कविता के शब्द पाठकों के डिम में हमेशा रहती है|

5-उपयुक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है पाठ का नाम एवं उनके कवि का नाम लिखिए?

उत्तर:यह पंक्तियाँ कविता के बहाने कुंवर नारायण के द्वारा लिखी गई है| कवि कविता में चिड़ियाँ की उड़ान की तरह है कवि की उड़ान की कोई सीमा नहीं है|

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