निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए , जब-जब बातें झुकी मेघ की धरती का तन-मन ललका है, जब-जब मैं गुजरा पनघट से पनिहारिन का घट छलका है। सुन बांसुरिया सदा-सदा से हर बेसुध राधा बहकी है, मेघदूत को देख पक्ष की सुधियों में केसर महकी है। क्या अपराध किसी का है फिर क्या कमजोरी कहूं किसी की. जब-जब रंग जमा महफिल में जोश रुका कब पापल का है। जब-जब मन में भाव उमड़ते, प्रणय श्लोक अवतीर्ण हुए हैं, जब-जब प्यास जगी पत्थर में, निर्झर स्रोत विकीर्ण हुए हैं। जब-जब गूंजी लोक गीत की धुन अथवा अल्हा की कड़ियां खेतों पर पौवन लहराया, रूप गुजरिया का दमका है। (क) काव्यांश में प्रयुक्त "धरती का तन-मन ललका है।" पंक्ति का क्या अर्थ है? (ख) राधा को बेशुध क्यों कहा गया है? (ग) मन के भावों तथा प्रेम गीतों का परस्पर संबंध क्या है? (घ) काव्यांश में झरनों के अनापास फूट पड़ने का क्या कारण है? (ङ) लोक गीतों की धुन गूँजने पर क्या-क्या होता है? (च) आशय स्पष्ट कीजिए- " खेतों पर पौवन लहराया, रूप गुजरिया का दमका है।"
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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core – अपठित बोध- अपठित काव्यांश
Contents [show]
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core – अपठित बोध- अपठित काव्यांश
अपठित काव्यांश क्या है?
वह काव्यांश जिसका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है, अपठित काव्यांश कहलाता है। परीक्षा में इन काव्यांशों से विद्यार्थी के भावग्रहण क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
परीक्षा में प्रश्न का स्वरूप
परीक्षा में विद्यार्थियों को 100 से 150 शब्दों का कोई काव्यांश दिया जाएगा। उस काव्यांश से संबंधित पाँच लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे जाएँगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा कुल प्रश्न पाँच अंक के होंगे।
प्रश्न हल करने की विधि-
अपठित काव्यांश का प्रश्न हल करते समय निम्नलिखित बिंदु ध्यातव्य हैं-
विद्यार्थी कविता को मनोयोग से पढ़ें ताकि उसका अर्थ समझ में आ जाए। यदि कविता कठिन है तो इसे बार-बार पढ़ें ताकि भाव स्पष्ट हो सके।कविता के अध्ययन के बाद उससे संबंधित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए।प्रश्नों के अध्ययन के बाद कविता को दोबारा पढ़िए तथा उन पंक्तियों को चुनिए जिनमें प्रश्नों के उत्तर मिलने की संभावना हो।जिन प्रश्नों के उत्तर सीधे तौर पर मिल जाएँ, उन्हें लिखिए।कुछ प्रश्न कठिन या सांकेतिक होते हैं। उनका उत्तर देने के लिए कविता का भाव-तत्त्व समझिए।प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट होने चाहिए।प्रश्नों के उत्तर की भाषा सहज व सरल होनी चाहिए।उत्तर अपने शब्दों में लिखिए।प्रतीकात्मक व लाक्षणिक शब्दों के उत्तर एक से अधिक शब्दों में दीजिए। इससे उत्तरों की स्पष्टता बढ़ेगी।अपठित काव्यांश
निम्नलिखित काव्यांश तथा उन पर आधारित प्रश्नोत्तर ध्यानपूर्वक पढ़िए-
1.
हॅस ली दो क्षण खुशी मिली गर
वरना जीवन-भर क्रदन है।
किसका जीवन हँसी-खुशी में
इस दुनिया में रहकर बीता?
सदा-सर्वदा संघर्षों को
इस दुनिया में किसने जीता?
खिलता फूल म्लान हो जाता
हँसता-रोता चमन-चमन है।
कितने रोज चमकते तारे
दूर तलक धरती की गाथा
मौन मुखर कहता कण-कण है।
यदि तुमको सामथ्र्य मिला तो
मुसकाओं सबके संग जाकर।
कितने रह-रह गिर जाते हैं,
हँसता शशि भी छिप जाता है ,
जब सावन घन घिर आते हैं।
उगता-ढलता रहता सूरज
जिसका साक्षी नील गगन है।
आसमान को छुने वाली,
वे ऊँची-ऊँची मीनारें।
मिट्टी में मिल जाती हैं वे
छिन जाते हैं सभी सहारे।
यदि तुमको मुसकान मिली तो
थामो सबको हाथ बढ़ाकर।
झाँको अपने मन-दर्पण में
प्रतिबिंबित सबका आनन है।
प्रश्न
(क) कवि दो क्षण के लिए मिली खुशी पर हँसने के लिए क्यों कह रहा है? 1
(ख) कविता में संसार की किस वास्तविकता को प्रस्तुत किया गया है? 1
(ग) धरती का कण-कण कौन-सी गाथा सुनाता रहा है? 1
(घ) भाव स्पष्ट कीजिए-1
झाँको अपने मन-दर्पण में
प्रतिबिंबित सबका आनन है।
(ङ) ‘उगता-ढलता रहता सूरज’ के माध्यम से कवि ने क्या कहना चाहा है? 1
उत्तर-
(क) जीवन में बहुत आपदाएँ हैं। अत: जब भी हँसी के क्षण मिल जाएँ तो उन क्षणों में हँस लेना चाहिए। कवि इसलिए कहता है जब अवसर मिले हँस लेना चाहिए। खुशी मनानी चाहिए।
(ख) कविता में बताया गया है कि संसार में सब कुछ नश्वर है।
(ग) धरती का कण-कण गाथा सुनाता आ रहा है कि आसमान को छूने वाली ऊँची-ऊँची दीवारें एक दिन मिट्टी में मिल जाती हैं। सभी सहारे दूर हो जाते हैं। अत: यदि समय है तो सबके साथ मुस्कराओ और यदि सामथ्र्य है तो सबको सहारा दो।
(घ) यहाँ कवि का अभिप्राय है कि यदि अपने मन-दर्पण में झाँककर देखोगे तो सभी के एक-समान चेहरे नजर आएँगे अर्थात् सभी एक ईश्वर के ही रूप दिखाई देंगे।
(ङ) ‘उगता-ढलता रहता सूरज’ के माध्यम से कवि ने कहना चाहा है कि जीवन में समय एक-सा नहीं रहता है। अच्छे-बुरे समय के साथ-साथ सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।