निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर सही सही उत्तर दें
कितना अच्छा होता है
एक दूसरे को बिना जाने
पास पास होना
और उस संगीत को सुनना जो धमनियों में बजता है
उन रंगों में नहा जाना
जो बहुत गहरे चढ़ते उतरते हैं
शब्दों की खोज शुरू होते ही
हम एक दूसरे को खाने लगते हैं
और उनके पकड़ में आते ही
एक दूसरे के हाथों से
मछली की तरह फिसल जाते हैं
हर जानकारी में बहुत गरीब का एक पतला धागा छिपा होता है
कुछ भी ठीक से जान लेना
खुद से दुश्मनी ठान लेना है
कितना अच्छा होता है
एक दूसरे के पास बैठ खुद को टटोलना
1. काव्यांश के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
2. "शब्दों की खोज शुरू होते ही हम एक दूसरे में खोने लगते हैं "काव्य पंक्ति का क्या आशय है?
3. "मछली की तरह फिसल जाते हैं" का क्या अर्थ है?
4.काव्यांश में प्रस्तुत काव्य पंक्ति "एक------टटोलना "का आशय स्पष्ट कीजिए?
5. प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक बताइए?
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एक चिड़िया थी वह बहुत उच उड़ती , इधर उधर चहचहाती रहती | कभी इस टहनी पर कभी उस टहनी पर फुदकती रहती |पर उस चिड़िया की एक आदत थी वह जो भी दिन में उसके साथ होता अच्छा या बुरा उतने पत्थर अपने पास पोटली में रख लेती और अकसर उन पत्थरो को पोटली से निकाल कर देखती अच्छे पत्थरो को देखकर बीते दिनों में हुई अच्छी बातो को याद करके खुश होती | और खराब पत्थरो को देखकर दुखी होती |ऐसा रोज़ करती | रोज़ पत्थर इकठा करने से उसकी पोटली दिन प्रतिदिन भारी होती जा रही थी | थोड़े दिन बाद उसे भरी पोटली के साथ उड़ने में दिक्कत होने लगी | पर उसे समझ नहीं आ रहा था की वह उठ क्यों नहीं पा रही |
कुछ समय और बीता, पोटली और भारी होती जा रही थी | अब तो उसका जमीन पर चलना भी मुश्किल हो रहा था | और एक दिन ऐसा आया की वह खाने पीने का इंतज़ाम भी नहीं कर पाती अपने लिए और अपने पत्थरो के बोझ तले मर गयी .
कुछ समय और बीता, पोटली और भारी होती जा रही थी | अब तो उसका जमीन पर चलना भी मुश्किल हो रहा था | और एक दिन ऐसा आया की वह खाने पीने का इंतज़ाम भी नहीं कर पाती अपने लिए और अपने पत्थरो के बोझ तले मर गयी .
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