निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके प्रश्नों के उत्तर अत्यंत संक्षेप में लिखिए
तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार,
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावे वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख, विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही जिस पर रणभेरी!
इस हुँकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूं ?
कोकिल बोलो तो
(1) कवि और कोयल को रहने के लिए क्या प्राप्त है ?
(2) कवि और कोयल के संसार में क्या अंतर है ?
(3) 'कोयल के गीत' और 'कवि का रोना' किस रूप में देखा जाता है ?
(4) कोयल की हुँकार पर कवि क्या करना चाहता है ?
(5) मोहन के व्रत पर पंक्ति से क्या तात्पर्य है ?
Answers
Answered by
0
(1) कवि और कोयल को रहने के लिए क्या प्राप्त है ?
➲ कवि के लिये रहने को कोठरी और कोयल के रहने को हरी डाली प्राप्त है।
(2) कवि और कोयल के संसार में क्या अंतर है ?
➲ कवि और कोयल के संसार में ये अंतर है, कि कवि दस फुट की अंधेरी कोठरी में ही अपना जीवन बिता रहा है, जबकि कोयल खुले आकाश में विचरण कर रही है।
(3) 'कोयल के गीत' और 'कवि का रोना' किस रूप में देखा जाता है ?
➲ कोयल के गीत पर उसको वाह-वाह मिलती है, जबकि कवि का रोना भी गुनाह माना जाता है।
(4) कोयल की हुँकार पर कवि क्या करना चाहता है ?
➲ कोयल की हुँकार पर कवि कहना चाहता है कि वो अपने प्राणों की बाजी लगाने तक को तैयार है।
(5) मोहन के व्रत पर पंक्ति से क्या तात्पर्य है ?
➲ मोहन के व्रत पंक्ति का अर्थ है, मोहनदास करमचंद गाँधी के अहिंसा का व्रत से है।
Similar questions