निम्नलिखित काव्यांश किस पाठ से लिया गया है ? इसके कवि के नाम का उल्लेख
करते हुए काव्यांश का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय ।
बिन पानी साबुन बिना, निरमल करत सुभाय ॥
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कबीर के दोहे:
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय ।
बिन पानी साबुन बिना, निरमल करत सुभाय ॥
काव्य-सौंदर्य :
इस कबीर के दोहे में कबीरदास कहना चाहते हैं कि अपने पास उन लोगों को रखना चाहिए जो हमारे अवगुणों को बताएं। हमारे अवगुणों को छिपाए नहीं , मित्र ऐसे बनाएं जो मीठी-मीठी बातें ना करें बल्कि जो बुराइयां हैं उन सभी को स्पष्ट और निर्विरोध रूप से बोले।
अपनी निंदा करने और सुनने वाले बहुत ही कम लोग होते हैं। निंदा करने वाले लोग व्यक्ति के चरित्र के निर्माण की पहली सीढ़ी होते हैं। इसलिए निंदक को अप ने पास रखना चाहिए उस से तन – मन निर्मल हो जाता है।
बुराइयां निकल जाती है और वह भी बिना साबुन पानी लगाए।
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करते हुए काव्यांश का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
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