निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- वे देश जो हैं आज उन्नत और सब संसार से चौंका रहे हैं नित्य सबको नव नवाविष्कार से। बस ज्ञान के संचार से ही बढ़ सके हैं वे वहाँ, विज्ञान बल से ही गगन में चढ़ सके हैं वे वहाँ।
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Answer:निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- वे देश जो हैं आज उन्नत और सब संसार से चौंका रहे हैं नित्य सबको नव नवाविष्कार से। बस ज्ञान के संचार से ही बढ़ सके हैं वे वहाँ, विज्ञान बल से ही गगन में चढ़ सके हैं वे वहाँ।
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प्रस्तुत श्लोक सार्वजनिक मंत्री मैथिलीशरण गुप्ता द्वारा रचित 'काव्य-शिक्षा' नामक गीत से लिया गया है। नीचे के गीत गुप्तजी के 'भारत-भारती' में एकत्र किए गए हैं।
भारत-भारती गुप्तजी की जनशक्ति को प्रकट करने वाली रचना है प्रस्तुत पंक्तियों में गुप्तजी ने उन देशों की प्रशंसा की है जो ज्ञान के बल पर शीर्ष पर हैं।
व्याख्या- ज्ञान का पक्ष लेते हुए गुप्तजी कह रहे हैं कि जितने देश दूसरे देशों से आगे हैं और नए आविष्कार करके दूसरे पिछड़े देशों को चकित कर रहे हैं, यह सब ज्ञान के कारण है।
- ज्ञान और बुद्धि की शक्ति पाकर ही यह देश शीर्ष पर है अर्थात बुद्धि के बल पर ही इन्होंने चन्द्रमा पर कदम रखा है। इस प्रकार मनुष्य ने ज्ञान के बल पर चन्द्रमा को छू लिया है|
#SPJ3
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