निम्नलिखित काव्यांश की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए-. अब हुआ सास्थ्य स्वर्णाश लीन, सब वर्ण-वस्तु से विश्व हीन। गंगा के चल-जल में निर्मल, कुम्हला किरणों का रकोपल है पूँद चुका अपने मृदु- दला लहरों पर स्वर्ण रेखा सुन्दर, पड़ गई जील, ज्यो अधरों पर अरुणाई प्रखर शशिसेडर।। तर शिखा वह स्वर्ण-विहग, उड़ गया, खोल निज पंख सुमन ।
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Fluid, any liquid or gas or generally any material that cannot sustain a tangential, or shearing, force when at rest and that undergoes a continuous change in shape when subjected to such a stress.
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