निम्नलिखित काव्यांश में कौन-सा स्थायी भाव है?
'राम को रूप निहारती जानकी, कंगन के नग की परछाँही।
याति सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नॉही।।"
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prem
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prastut panktiyon mein sanyog shringar ras hai isiliye iska sthayi bhav prem hai
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