निम्नलिखित काव्यांशों में से किन्हीं चार के अलंकार भेद पहचान कर लिखिए-
तू
मोहन के उरबसी हवै उरबसी समान ।
2 मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
3. भूप सहस दस एकहिं बारा। लगे उठावन टरत न टारा ।
4. शशिमुख पर घूघट डाले अंचल में दी छिपाए।
5. कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो, हो गए पंकज नए।।
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Answer:
(1) आगे-आगे नाचती बयार चली
- यहाँ बयार का स्त्री के रुप में मानवीकरण हुआ है।
(2) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
- मेघ का दामाद के रुप में मानवीकरण हुआ है।
(3) पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए।
- पेड़ो का नगरवासी के रुप में मानवीकरण किया गया है।
(4) धूल भागी घाघरा उठाए।
- धूल का स्त्री के रुप में मानवीकरण किया गया है।
(5) बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की
- पीपल का पुराना वृक्ष गाँव के सबसे बुज़र्ग आदमी के रुप में है।
(6) बोली अकुलाई लता
- लता स्त्री की प्रतीक है।
कविता में प्रयुक्त अलंकार -
(1) क्षितिज अटारी
- यहाँ क्षितिज को अटारी के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
(2) दामिनी दमकी
- दामिनी दमकी को बिजली के चमकने के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
(3) बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
- झर-झर मिलन के अश्रु द्वारा बारिश को पानी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।