निम्नलिखित काव्यांश ओ में निहित अलंकारों के नाम लिखिए : क . रसवती रसना करके कहीं कथित की कथनीय गुणावली । ख . कनक कनक ते सौ गुनी , मादकता अधिकाय । या खाए बौराय जग , वा पाये बौराय । ग . मंगल को देखि पट देत बार - बार घ . सुवासित भीगी हवाएं सदा पावन मां स
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b hai usme anuprash hai
निम्नलिखित काव्यांश ओ में निहित अलंकारों के नाम इस प्रकार है:
क . रसवती रसना करके कहीं कथित की कथनीय गुणावली ।
इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है|
अनुप्रास अलंकार का अर्थ है, जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
ख . कनक कनक ते सौ गुनी , मादकता अधिकाय । या खाए बौराय जग , वा पाये बौराय ।
यमक अलंकार यहाँ ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दूसरे कनक का अर्थ-धतूरा है।
यमक अलंकार : किसी कविता या काव्य में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और भिन्न-भिन्न स्थानों पर उसका अर्थ भिन्न-भिन्न हो, वहां यमक अलंकार होता है।
ग . मंगल को देखि पट देत बार - बार
यहाँ श्लेष अलंकार है। इस काव्य-पंक्ति में 'पट' के दो अर्थ हैं– (क) वस्त्र और (ख) किवाड़।
श्लेष अलंकार है क्योंकि जहाँ एक ही शब्द के अनेक अर्थ निकलते हो वह श्लेष अलंकार होता है ।
घ . सुवासित भीगी हवाएं सदा पावन मां स
सुवासित भीगी हवाएँ सदा पावन माँ सरीखी इस पंक्ति में उपमा अलंकार है|
उपमा अलंकार में किसी वस्तु की तुलना किसी प्रसिद्ध वस्तु से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है, या जहाँ दो वस्तुओं में समानता का भाव व्यक्त किया जाता है।
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