निम्नलिखित काव्यांष को पढ़कर उत्तर दीजिये | कितना प्रमाणिक था उसका दुःख लड़की को दान देते वक्त जैसे वही उसकी अंतिम पूॅंजी हो। लड़की अभी सयानी नहीं थी अभी इतनी भोली सरल थी कि उसे सुख का आभास तो होता था लेकिन दुःख बॉंचना नहीं आता था पाठिका थी वह धुंधले प्रकाष की कुछ तुकों और कुछ लयबद्व पंक्तियों की 1. मॉं को बेटी कैसी लगी
1 point
प्रामाणिक
दुःख से पीड़ित
अन्तिम पूॅंजी
सयानी
2. छन्द की दृष्टि से उपर्युक्त कविता है |
1 point
छन्द युक्त
छन्द मुक्त
छन्द बद्व
उपर्युक्त तीनों
3. धुॅंधला प्रकाश का संकेतात्मक अर्थ है-
1 point
जीवन के सुख की अस्पष्ट कल्पना
जीवन का मन्द प्रकाश
गोधुली वेला
प्रातःकालीन प्रकाश
4. उपर्युक्त काव्यांश में से सांकेतिक भाषा का उदाहरण है-
1 point
कितना प्रामाणिक था उसका दुःख
जैसे वही उसकी अन्तिम पूॅंजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
पाठिका थी वह धुॅंधले प्रकाष की
5. प्रामाणिक शब्द में प्रत्यय, उपसर्ग और मूल शब्द है-
1 point
प्र+ मान+इक
प्रमान+इक
प्र+ मान+ क
प्र+ मान+ ईक
Answers
Answered by
0
Explanation:
ऋतुराज
कन्यादान
कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
इस कविता में उस दृश्य का वर्णन है जब एक माँ अपनी बेटी का कन्यादान कर रही है। बेटियाँ ब्याह के बाद पराई हो जाती हैं। जिस बेटी को कोई भी माता पिता बड़े जतन से पाल पोसकर बड़ी करते हैं, वह शादी के बाद दूसरे घर की सदस्य हो जाती है। इसके बाद बेटी अपने माँ बाप के लिए एक मेहमान बन जाती है। इसलिए लड़की के लिए कन्यादान शब्द का प्रयोग किया जाता है। जाहिर है कि जिस संतान को किसी माँ ने इतने जतन से पाल पोस कर बड़ा किया हो, उसे किसी अन्य को सौंपने में गहरी पीड़ा होती है। बच्चे को पालने में माँ को कहीं अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है, इसलिए उसे दान करते वक्त लगता है कि वह अपनी आखिरी जमा पूँजी किसी और को सौंप रही हो।
Similar questions