--
-
निम्नलिखित काव्यांष को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दे
मन समर्पित, तन समर्पित,
और यह जीवन समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और
भी दूं।
मॉ तुम्हारा ऋण बहुत है, मै अकिंचन,
किंतु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन।
थाल में लाऊँ सजाकर भाल. जब भी,
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण।
(क) कविता का सार बताएँ।
(ख) अकिंचन शब्द का अर्थ बताएँ?
(ग) प्रस्तुत पंक्ति में सर्वस्व सर्मपण के बाद भी कवि असंतुष्ट क्यों है?
(घ) कवि मातु भुमि से क्या निवेदन कर रहा है?
(ड.) सर्मपित शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त हुआ है?
Answers
Answered by
0
Answer:
(क) कविता में देश के लिए समर्पण की भावना का सार है l
(ख) अंकिचन = बहुत गरीब
(ग) सर्वस्थ समर्पण के बाद भी कवि संतुष्ट नहीं क्योंकि भारत माँ का हमपे बहुत ऋण है l
(घ) कवि मातृ भूमि से निवेदन कर रहे है, की में थाल में भाल सजाकर लाउ तब भी दया करके मेरा वह समर्पण स्वीकार लेना l
(ड) समर्पित शब्द में...
लास्ट वाला नहीं पता l
Similar questions