निम्नलिखित काव्यपंक्तिओं का आशय स्पष्ट कीजिए :
(1) देहमंदिर चित्तमंदिर एक ही है प्रार्थना l
सत्य सुंदर मांगल्य की नित्य हो आराधना ॥
(2) भेद सभी अस्त होने बैर और वासना
मानवों की एकता की पूर्ण हो कल्पनl
मुक्त हमें चाहे एक ही बंधुता की कल्पना ॥
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1) कवि वसंत बापट बहुता ही उदारहृदय और ऊंची द्रष्टि के कवि है। कवि के चित और देह की बस एक ही प्रार्थना है की लोग अच्छे कर्म करे | सत्य के मार्ग पर चले | उनके हृदय में शुभ और सुंदर भावनाए हो लोगा स्वार्थ त्यागकर सबके हित की बात सोचेl
2आज संसार मे वर्ण-भेद, जाती-भेद, रंग-भेद-आदि कई भेद बने हुए है। ईर्ष्या के कारण उंच-नीच का अंतर बना है। इसलिए मानवजाति मे एकता नही है | संसार में अशांति और संघर्ष का कारण ये तरह-तरह के भेद ही है। जब तक भेदो का नाश नहीं होगा, तब तक मनुष्य जाती एक नही होगी |
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this anwers are 1 and 2 question lessen number 1
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