निम्नलिखित काव्यश को ध्यानपूवर्क पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्ति लिखिएः- क्या रोकेंगे प्रलय मेधा ये, क्या विदयुत–धन के नर्तन, मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन। मैं अविराम पथीक अलबेला रूके न मैरे कभी चरण, शूलो के बदले फूलो का किया न मैने मित्र चयन। मैं विपर्दओं में मुसकाता नव आश के र्दीप लिए, फिर मुझको क्य रोक सकेंगे जीवन के उत्थान पतन। मैं अटका कब, कब विचलित मैं, सतत डगर मेरी संबल, रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्रचीर निबल। आंधी हो, ओले वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी, फिर मुझको क्य डरा सकेंगे ये ज के खंडन-मंडन| मुझे डरा पए कब अंधन , ज्वलामुखियों के कंपन, मुझे पथिक कब रोक सके हैं अगिनशिखाओ के नर्तन। मैं बढ़ता अविराम निरंतरा तन मन में उन्मर्द लिए, फिर मुझको क्य डरा सकेंगे, ये बादल-विदयुत नर्तन | (i) कविता में आए मेघ, सागर की गर्जना ओर ज्वालामुखी किनके प्रतीक हैं? कवि ने उनका संयोजन यहा क्यों किया हे (ii) ‘शूलों के बदले फूलों का किया न मेने चयन’ – पंकित का भाव स्पस्ट कीजिए। (iii) ‘युग की प्राचीर’ से क्य तात्पर्य है? (iv) उपयूक्त काव्यन्शा के आधार पर कवि के स्वभाव की किन्हीं र्दो विशेषताओं का उल्लेखा कीजिए। (v) उत्थान पतन' शब्द मे समास बताइए |
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