निम्नलिखित कहानीमै संज्ञा रेखावित करे और भेद पहचान
मंचालू कुम्हार मिट्टी से वर्तन बनाता था. उसके बर्तन बाजार में खूब बिकते
था.पडे और सुराहियो की सुख मांगा रहती थी मजार अब वह वढा हो जाया, समय
बदला, फ्रिज,प्लास्टिक की बोतली और वासियो ने मटकी कीजगह ले ली। अंजालू
के दुख की सीमा न थी.
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