निम्नलिखित कथन इक्वाडोर के बारे में है। इस उदाहरण और भारत की न्यायपालिका के बीच आप क्या समानता अथवा असमानता पाते हैं?
सामान्य कानूनों की कोई सांहिता अथवा पहले सुनाया गया कोई न्यायिक फैसला मौजूद होता तो पत्रकार के अधिकारों को स्पष्ट करने में मदद मिलती। दुर्भाग्य से इक्वाडोर की अदालत इस रीति से काम नहीं करती। पिछले मामलों में उच्चतर अदालत के न्यायाधीशों ने जो फैसले दिए हैं उन्हें कोई न्यायाधीश
उदाहरण के रूप में मानने के लिए बाध्य नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत इक्वाडोर (अथवा दक्षिण अमेरिका में किसी और देश) में जिस न्यायाधीश के सामने अपील की गई है उसे अपना फैसला और उसका कानूनी आधार लिखित रूप में नहीं देना होता। कोई न्यायाधीश आज एक मामले में कोई फैसला सुनाकर कल उसी मामले में दूसरा फ़ैसला दे सकता है और इसमें उसे यह बताने की ज़रूरत नहीं कि वह ऐसा क्यों कर रहा है।
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Answer with Explanation:
उपरोक्त उदाहरण में भारत की न्यायपालिका के बीच अथवा इक्वाडोर की न्यायपालिका में निम्नलिखित असमानताएं है :
- इक्वाडोर में कानूनों की कोई संहिता नहीं है, जबकि भारत में है। भारत की न्यायपालिका संविधान तथा उसके अनुरूप बनाए गए कानूनों के अनुसार निर्णय करती है।
- इक्वाडोर में न्यायाधीश पिछले मुकदमों में दिए गए निर्णय को उदाहरण के रूप में स्वीकार नहीं करते , जबकि भारत में प्राय: न्यायधीश पिछले मुकदमों के उदाहरणों के रूप में स्वीकार करते हैं।
- इक्वाडोर में न्यायाधीश अपना निर्णय लिखित रुप में नहीं देते , जबकि भारत में न्यायाधीश अपना निर्णय लिखित रूप में देते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Answer:
भारत में बहुदलीय प्रणाली बहु-दलीय पार्टी व्यवस्था है जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल हैं। राष्ट्रीय पार्टियां वे हैं जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है। इस मान्यता की सहायता से राजनीतिक दल कुछ पहचानों पर अपनी स्थिति की अगली समीक्षा तक विशिष्ट स्वामित्व का दावा कर सकते हैं जैसे की पार्टी चिन्ह. जून २०१९ के अनुसार राष्ट्रीय पार्टियां नीचे दी गयी हैं: