History, asked by goutamnikita1998, 2 months ago

निम्नलिखित कथन को ठीक करके
पुनः
लिखें:
जैन धर्म के अनुसार ,कर्म के चक्र से स्वयं को मुक्त करने के लिए
तप और मध्य मार्ग की आवश्यकता होती है।​

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Answered by latasanju
0

Answer:

hi jjssdmz in a few days ago in

Answered by Sudharajput998800
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जैन दर्शन के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने के बाद जीव (आत्मा) जन्म मरण के चक्र से निकल जाता है और लोक के अग्रभाग सिद्धशिला में विराजमान हो जाती है। सभी कर्मों का नाश करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मोक्ष के उपरांत आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप (अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त सुख, और अनन्त शक्ति) में आ जाती है। ऐसी आत्मा को सिद्ध कहते है। मोक्ष प्राप्ति हर जीव के लिए उच्चतम लक्ष्य माना गया है। सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चरित्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है। जैन धर्म को मोक्षमार्ग भी कहा जाता है।

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