निम्नलिखित कवियों में से किसी एक का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।
(i) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ii) जयशंकर प्रसाद
(iii) गैथिलीशरण गुप्त
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Answer:
जीवन-परिचय- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी का जन्म 9 सितम्बर 1850 ई. में काशी में हुआ था। इनके पिता बाबू गोपालचन्द्र जी थे, जो वे 'गिरधरदास' उपनाम से कविता करते थे। भारतेन्दु जी ने पॉंच वर्ष की अल्पायु में ही काब्य-रचना कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। बाल्यावस्था में ही माता-पिता की छत्रछाया उनके सिर से उठ जाने के कारण उन्हें उनके वात्सलय से वंचित रहना पड़ा। अत: उनकी स्कूली शिक्षा में व्यवधान पड़ गया। आपने घर पर ही स्वाध्याय से हिन्दी, अँग्रेजी, संस्कृत, फारसी, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं का उच्च ज्ञान प्राप्त कर लिया। 13 वर्ष की अल्पायु में ही उनका विवाह हो गया। वे स्वभाव से अति उदार थे। दीन-दुखियों की सहायता, देश-सेवा और साहित्य-सेवा में उन्होंने अपने धन को लुटाया। इस उदारता के कारण उनकी आर्थिक दशा शोचनीय हो गयी तथा वे ऋणग्रस्त हो गये। ऋण की चिनता से उनका शरीर क्षीण हो गया। 6 जनवरी 1885 ई. में 35 वर्ष की अल्पायु में ही इनकी मृत्यु हो गयी।
भारतेन्दु हरिश्चनद्र आधुनिक हिन्दी खड़ी बोली गद्य-साहित्य के जनक माने जाते हैं। अन्होंने गद्य-साहित्य के द्वारा एक ओर तो देश-प्रेम का सनदेश दिया और दूसरी ओर समाज की कुरीतियों तथा विसंगतियों पर तीक्ष्ण व्यंग्य एवं कटु प्रहार किए है। उनके साहित्य में भारतीय संस्कृति के प्रति निष्ठा सर्वत्र दृष्टिगोचर होती हैै। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र अपने युग की समसत चेतना के केन्द्र बिन्दु थे। वे वर्तमान के व्याख्,याता एवं भविष्य के द्रष्टा थे। भारतेन्दु के रूप में वे, हिन्दी साहित्य-जगत को प्राप्त हुए।
कृतियॉं- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी प्रमुख कृतियां है।
विद्या सुन्दर
रत्नावली
पाखण्उ विडम्बन
धनंजय विजय
कर्पूर मंजरी
मुद्राराक्षस
भारत जननी
दुर्लभ बंधु
वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति
सत्य हरिश्चन्द्र
श्री चन्द्रावली विषस्य विषमौषधम्
भारत-दुर्दशा