Hindi, asked by singhriya5047, 11 months ago

निम्नलिखित लोकोक्तियों अथवा कहावतों का अर्थ एवं वाक्य प्रयोग कीजिए—
1. इधर कुआँ उधर खाई
2. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
3. ऊँट के मुँह में जीरा
4. ऊँची दुकान, फीका पकवान
5. एक हाथ से ताली नहीं बजती

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Answered by ranyodhmour892
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Answer:

लोकोक्तियाँ (proverbs) की परिभाषा

किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को 'लोकोक्ति' कहते हैं।

दूसरे शब्दों में- जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत कहते है।

उदाहरण- 'उस दिन बात-ही-बात में राम ने कहा, हाँ, मैं अकेला ही कुँआ खोद लूँगा। इन पर सबों ने हँसकर कहा, व्यर्थ बकबक करते हो, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता' । यहाँ 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता' लोकोक्ति का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है 'एक व्यक्ति के करने से कोई कठिन काम पूरा नहीं होता' ।

'लोकोक्ति' शब्द 'लोक + उक्ति' शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित उक्ति या कथन'। संस्कृत में 'लोकोक्ति' अलंकार का एक भेद भी है तथा सामान्य अर्थ में लोकोक्ति को 'कहावत' कहा जाता है।

चूँकि लोकोक्ति का जन्म व्यक्ति द्वारा न होकर लोक द्वारा होता है अतः लोकोक्ति के रचनाकार का पता नहीं होता। इसलिए अँग्रेजी में इसकी परिभाषा दी गई है- ' A proverb is a saying without an author' अर्थात लोकोक्ति ऐसी उक्ति है जिसका कोई रचनाकार नहीं होता।

वृहद् हिंदी कोश में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई है-

'विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों और लोक विश्वासों आदि पर आधारित चुटीली, सारगर्भित, संक्षिप्त, लोकप्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं, जिनका प्रयोग किसी बात की पुष्टि, विरोध, सीख तथा भविष्य-कथन आदि के लिए किया जाता है।

'लोकोक्ति' के लिए यद्यपि सबसे अधिक मान्य पर्याय 'कहावत' ही है पर कुछ विद्वानों की राय है कि 'कहावत' शब्द 'कथावृत्त' शब्द से विकसित हुआ है अर्थात कथा पर आधारित वृत्त, अतः 'कहावत' उन्हीं लोकोक्तियों को कहा जाना चाहिए जिनके मूल में कोई कथा रही हो। जैसे 'नाच न जाने आँगन टेढ़ा' या 'अंगूर खट्टे होना' कथाओं पर आधारित लोकोक्तियाँ हैं। फिर भी आज हिंदी में लोकोक्ति तथा 'कहावत' शब्द परस्पर समानार्थी शब्दों के रूप में ही प्रचलित हो गए हैं।

लोकोक्ति किसी घटना पर आधारित होती है। इसके प्रयोग में कोई परिवर्तन नहीं होता है। ये भाषा के सौन्दर्य में वृद्धि करती है। लोकोक्ति के पीछे कोई कहानी या घटना होती है। उससे निकली बात बाद में लोगों की जुबान पर जब चल निकलती है, तब 'लोकोक्ति' हो जाती है।

लोकोक्ति : प्रमुख अभिलक्षण

(1) लोकोक्तियाँ ऐसे कथन या वाक्य हैं जिनके स्वरूप में समय के अंतराल के बाद भी परिवर्तन नहीं होता और न ही लोकोक्ति व्याकरण के नियमों से प्रभावित होती है। अर्थात लिंग, वचन, काल आदि का प्रभाव लोकोक्ति पर नहीं पड़ता। इसके विपरीत मुहावरों की संरचना में परिवर्तन देखे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए 'अपना-सा मुँह लेकर रह जाना' मुहावरे की संरचना लिंग, वचन आदि व्याकरणिक कोटि से प्रभावित होती है; जैसे-

(i) लड़का अपना सा मुँह लेकर रह गया।

(ii) लड़की अपना-सा मुँह लेकर रह गई।

जबकि लोकोक्ति में ऐसा नहीं होता। उदाहरण के लिए 'यह मुँह मसूर की दाल' लोकोक्ति का प्रयोग प्रत्येक स्थिति में यथावत बना रहता है; जैसे-

(iii) है तो चपरासी पर कहता है कि लंबी गाड़ी खरीदूँगा। यह मुँह और मसूर की दाल।

(2) लोकोक्ति एक स्वतः पूर्ण रचना है अतः यह एक पूरे कथन के रूप में सामने आती है। भले ही लोकोक्ति वाक्य संरचना के सभी नियमों को पूरा न करे पर अपने में वह एक पूर्ण उक्ति होती है; जैसे- 'जाको राखे साइयाँ, मारि सके न कोय'।

(3) लोकोक्ति एक संक्षिप्त रचना है। लोकोक्ति अपने में पूर्ण होने के साथ-साथ संक्षिप्त भी होती है। आप लोकोक्ति में से एक शब्द भी इधर-उधर नहीं कर सकते। इसलिए लोकोक्तियों को विद्वानों ने 'गागर में सागर' भरने वाली उक्तियाँ कहा है।

(4) लोकोक्ति सारगर्भित एवं साभिप्राय होती है। इन्हीं गुणों के कारण लोकोक्तियाँ लोक प्रचलित होती हैं।

(5) लोकोक्तियाँ जीवन अनुभवों पर आधारित होती है तथा ये जीवन-अनुभव देश काल की सीमाओं से मुक्त होते हैं। जीवन के जो अनुभव भारतीय समाज में रहने वाले व्यक्ति को होते हैं वे ही अनुभव योरोपीय समाज में

Answered by ajeetchoudhary750
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नहि़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ँ

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