निम्नलिखित में पहचानकर बताइए कि कौन-सा छन्द है ?
मैं समुझ्यौ निरधार, यह जग काँचो सौं ।
एकै रूप अपार, प्रतिबिंबित लखियतु जहाँ ।।
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मैं समुझ्यौ निरधार, यह जग काँचो सौं ।
एकै रूप अपार, प्रतिबिंबित लखियतु जहाँ ।।
बिहारी कवि कहते हैं कि इस सत्य को मैंने जान लिया है कि यह संसार निराधार है। यह काँच के समान कच्चा है अर्थात मिथ्या है। यहाँ सब कुछ झूठ लोग जैसे दीखते है, वैसा कोई नहीं है|
कृष्ण का सौन्दर्य अपार है जो सम्पूर्ण संसार में प्रतिबिम्बित हो रहा है।
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