निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए- I) बारहमासा' कविता के आधार पर बताइए की कवि ने अगहन मास की क्या विशेषताएँ बताई हैं और उसका नागमती पर क्या प्रभाव पड़ा ?
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बारहमासा मूलतः एक विरहप्रधान लोक संगीत है। वर्ष भर के बारहमास में नायक - नायिका की श्रृंगारिक विरह और मिलन की क्रियाओं के चित्रण को बारहमासा कहते हैं। इसके पद्य या गीत में बारहों महीने की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किसी विरही या विरहनी के मुख से कराया जाता है। इस गीत में वह अपनी दशा को हर महीने की खासियत के साथ पिरोकर रखती है। इस शैली में ज्यादातर किसी स्त्री का पति परदेस कमाने चला जाता है और वह दुखी मन से अपनी सखी को बताती है कि पति के बिना हर मौसम व्यर्थ है।
सैंय्या मोरा गइले विदेसबा सखीरी ।
जिया नाहीं लागे ।।
चार महीना गर्मी के लागल ।
नाहीं भेजे कौनो संदेसवा सखीरी ।।
-पारंपरिक बारहमासा
मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य 'पदमावत' का एक प्रमुख हिस्सा 'जायसी का बारहमासा' है। ' जायसी ' हिन्दी साहित्य के भक्ति धारा के कवि थे। ये उच्च कोटि के सूफी संत थे। 1467 ईसवीं -1552 ईसवीं तक इनका काल माना जाता है । चूंकि इनका जन्म उत्तर प्रदेश के अमेठी जिला के ' जायस ' ग्राम में हुआ था इसीलिए यह जायसी कहलाते है। ये विशेषकर अवधी और फ़ारसी भाषा में लिखते थे। अखरावट , चित्ररेखा , मसला और पदमावत इनकी प्रमुख रचनाएं हैं।
'जायसी के बारहमासा' में रानी नागमती चित्तौड़ के राजा रतनसेन की विवाहिता पत्नी थीं। एक बार रतनसेन चित्तौड़ छोड़कर रानी पदमिनी (पदमावती) से ब्याह करने सिंघलद्वीप या श्रीलंका गए थे, लेकिन इस बारहमासा से ये प्रतीत होता है कि नागमती इस बात से अनभिज्ञ थीं। उन्हें राजा के श्रीलंका जाने का उद्देश्य मालूम ना था। नागमती अपने प्रियतम के वियोग में व्याकुल थीं। उन्हें ऐसा लगता है कि शायद राजा किसी अन्य स्त्री के प्रेम जाल में फंस गए हैं। पति के समीप रहने पर जो प्रकृति सुखदायी थी अब वही प्रकृति प्रियतम के दूर रहने से अति दुखदायी लगने लगी है। नागमती कहती हैं –
नागर काहु नारि बस परा।
तेहे मोर पिउ मोंसो हरा।।