निम्नलिखित में से कौन सा द्वंद्व समास का उदाहरण नहीं है?
घड़ा
भाग- दौड़
माता-पिता
पाप-पुण्य
pls tell me answer i will mark as brainliest plssssssssssssssssssss
Answers
Answer:
ghada is not example of dwanda samas
Answer:
अन्न nu
ये विशेषताएं द्वंद्व समास कि होती है अतः ये उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
आटा-दाल : आटा और दाल
पाप-पुण्य : पाप और पुण्य
देश-विदेश : देश और विदेश
लोटा-डोरी : लोटा और डोरी
सीता-राम : सीता और राम
ऊपर दिए गए कुछ उदाहरणों में जैसा कि हम देख सकते है कि आटा-दाल, पाप-पुण्य, देश-विदेश, लोटा-डोरी आदि समस्त्पदों में दोनों ही पद प्रधान हैं एवं दोनों पदों को मिलाने पर ‘और’ योजक लुप्त हो जाता है। यही विशेषताएं द्वंद्व समास में होती हैं। अतः ये उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
ऊंच-नीच : ऊँच और नीच
खरा-खोटा : खरा और खोटा
रुपया-पैसा : रुपया और पैसा
मार-पीट : मार और पीट
माता-पिता : माता और पिता
दूध-दही : दूध और दही
जैसा कि हम ऊपर दिए गए कुछ उदाहरणों में देख सकते हैं कि ऊंच-नीच, खरा-खोटा, रूपया-पैसा, मार-पीट, माता-पिता, दूध-दही इत्यादि समस्त्पदों में दोनों ही पद प्रधान हैं एवं जब दोनों पदों को जोड़ा जाता है तब बीच में से ‘और’ योजक लुप्त हो जाता है।
द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
द्वंद्व समास के कुछ अन्य उदाहरण :
भूल-चूक : भूल या चूक
सुख-दुख : सुख या दुःख
गौरीशंकर : गौरी और शंकर
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा की आप देख सकते हैं यहां भूल-चूक, सुख-दुख व गौरीशंकर जैसे शब्द मिलकर भूल या चूक, सुख या दुःख व गौरी और शंकर बना रहे हैं जब इनका समास हो रहा है। समास होने पर इनके बीच के योजक चिन्हों का लोप हो जाता है।
राधा-कृष्ण : राधा और कृष्ण
राजा-प्रजा : राजा और प्रजा
गुण-दोष : गुण और दोष
नर-नारी : नर और नारी
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा की आपने देखा राधा-कृष्ण, राजा-प्रजा, गुण-दोष, नर-नारी आदि शब्द बने जब राधा और कृष्ण, राजा और प्रजा, गुण और दोष एवं नर और नारी आदि शब्दों का समास हुआ। इनका समास होने पर हमने देखा की यहां शब्दों का समास होने पर और योजक चिन्ह का लोप हो जाता है। इन शब्दों में कोई भी पद प्रधान नहीं होता।
द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
एड़ी-चोटी : एड़ी और चोटी
लेन-देन : लेन और देन
भला-बुरा : भला और बुरा
जन्म-मरण : जन्म और मरण
पाप-पुण्य : पाप और पुण्य
तिल-चावल : तिल और चावल
भाई-बहन : भाई और बेहेन
नून-तेल : नून और तेल
जैसा की आप ऊपर दिए गए सभी उदाहरणों में देख सकते हैं यहां एड़ी चोटी, जन्म-मरण जैसे शब्दों का समास होने पर योजक चिन्ह का लोप हो गया है। इन शब्दों में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
ठण्डा-गरम – ठण्डा या गरम
नर-नारी – नर और नारी
खरा-खोटा – खरा या खोटा
राधा-कृष्ण – राधा और कृष्ण
राजा-प्रजा – राजा एवं प्रजा
भाई-बहन – भाई और बहन
गुण-दोष – गुण और दोष
सीता-राम – सीता और राम
जैसा की आप