निम्नलिखित में से किसी एक गंज आशिक की व्याख्या संदर्भ प्रसंग सहित लिखिए लेखन बैठी जा की sabi gahi gahi garab garur bhaye na kete jagat ke chatur chitere kur
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लिखन बैठि जाकी सबी, गहि-गहि गरब गरूर ।
भए न केते जगत के, चतुर चितेरे कूर।।
संदर्भ: यह पंक्तियाँ बिहारी सतसई / भाग 17 / बिहारी द्वारा लिखी गई है|
प्रसंग: इस दोहे में नायिका के सौंदर्य का वर्णन करते हुए बिहारी कहते हैं कि नायिका के सौंदर्य का कोई भी उसके सौंदर्य का वास्तविक चित्रण नहीं कर पाया |
व्याख्या: इस दोहे में नायिका के सौंदर्य का वर्णन करते हुए बिहारी कहते हैं कि नायिका के सौंदर्य का कोई भी उसके सौंदर्य का वास्तविक चित्रण नहीं कर पाया क्योंकि क्षण-प्रतिक्षण उसका सौंदर्य बढ़ता ही जा रहा था। लोग अभिमानी लोग और चतुर चित्रकार बेवकूफ बन गए पर कोई नायिका के सौंदर्य का चित्रण नहीं कर पाया|
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