Hindi, asked by ankitsinghbaghel555, 7 months ago

निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश की संदर्भ संग सहित धारणा बीजिए
भूरह काछी के दोनों बैलों के नाम धे-होश और भोती। दोनों पाठाई को देखने में भर पर
में चौकस, डील में ऊँचे बहुत दिनों साथ रहते रहत्ते दोनों में पाई धारा हो गया था। दोनों भाषणे
सामने बैठे हुए एक दूसरे से मूल भाषा में विचार विनिमय करते थे। एक-दस की बात तीरी सपहा
जाने थे हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुण शवित थी, जिससे जीनों का
का दावा करने वाला मनुष्य बंचित है। दोनों एक-दूसरे को चार कर राधकर अपना पेय पवार
कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लेते, विग्रह को जाने से पही केवल विनोद से भाप से, आसीता ही
भाव से, जैसे दोस्तो में धनिष्ठता होने ही धौल धया होने लगा है। इसको बिना दोशी
फुसफुसी, कुछ हल्की सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सवासा।
परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे, तो एक आदमी शाबारी गाँग आया हमने बह योगी
चिटें उसे दे दी। शायद उसी दिन हम थोइला को पहले के आखिरी शौच में पाँच गए। बम भी​

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Answered by Anonymous
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दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या नीचे की गई है।

संदर्भ - प्रस्तुत गद्यांश मुंशी प्रेमचंद की कहानी " दो बैलों की कथा " से लिया गया है। इन पंक्तियों में मुंशीजी ने दो बैलों के परस्पर प्रेम तथा स्नेह का वर्णन किया है।

व्याख्या - झुरी के पास दो बैल थे , नाम था हीरा तथा मोती। दोनों बैल देखने में सुंदर तथा सुडौल थे।

•साथ रहते रहते दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया। वे दोनों साथ में चारा खाते , खेत में हल साथ में जोतते। दोनों एक दूसरे से मूक भाषा में बातें करते थे।

• हम इंसान जानवरों की बोली नहीं समझते परन्तु भगवान ने जानवरों को एक गुण दिया है एक दूसरे की बोली समझने का।

•हीरा मोती एक दूसरे को चाटकर अपना प्रेम व्यक्त करते , कभी कभी सींग भी मिला लेते थे।कभी कानाफूसी करते। इस प्रकार उनमें इतनी घनिष्ठ मित्रता हो गई कि एक मिनट भी एक दूसरे से अलग नहीं होते थे ।

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