निम्नलिखित में से किसी एक की पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या करें।
धन्य यहाँ की धूलि, नीरद नभ तारे।
धन्य धवल हिम श्रृंग, तुंग, दुर्गम् दृग-प्यारे।।
धन्य नदी नद स्त्रोत, विमल गंगीद-गोत जल।
सीतल सुखद समस्त, वितस्तप तीर-स्वच्छ थल ।।
(अथवा)
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धन्य यहाँ की धूलि................... तीर-स्वच्छ थल ।।
सप्रसंग- इस कविता में हमारे महान भारत देश की प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर वर्णन किया गया है । यहाँ उपस्थित सभी वस्तुएँ देश को महान और अलग बनाती है इसीलिए हम अपने देश के प्रति धन्य होना चाहिए ।
व्याख्या- भारत देश जिसकी विशेषता बताते हुए बताया गया हैं कि यहाँ की धरती, यहाँ के बादल, आसमान और तारे धन्य है । यहाँ की सफेद चमकती और बर्फ से ढकी गगनचुम्बी पहाड़ो की चोटियां आँखों से देखने पर बहुत सुंदर और प्यारे नजर आ रहे हैं। यहाँ के नदी, तालाब आदि जल स्त्रोत शुद्ध जल धारण किये हुए हैं। भारत मे उपस्थित यह सब कुछ सुखदायी और शीतलता प्रदान करने वाला है।
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