Hindi, asked by ammuKochu9631, 1 year ago

निम्नलिखित में से किसी एक कथन का समर्थन करते हुए 50 शब्दों में उत्तर दीजिये

Answers

Answered by Hansika4871
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काश मै उड़ पाता

मई महीने का सुहाना दिन था। में अपने टेरेस के बेड पर आरमसे लेटा था। आकाश में बादल मंडरा रहे थे और हल्किसी धूप वातावरण को और मधुर बना रही थी। आकाश में मुझे पंछियों का झुंड दिखा और मेने सोचा कि अगर में उड़ पाता तो।

अगर आदमी उद पाते तो उनका जीवन सामान्य से बहुत अलग होता था। रास्ते पर ट्रैफिक की चिंता न करते हूं में निश्चिंत अपने काम को पोहुच सकता था। ना कहीं रुखनेकी टेंशन ना पेट्रोल के पैसे भरने की चिंता। लंबी लंबी कतारों में खड़ा रहना नहीं पड़ता और अपने दोस्तो से मिलना भी एकदम आसान होता था। बस जब याद आए तब उड जाओ। ऊंची ऊंची पहाड़ी जगह पर में घूमता और मेरा समय आंनद से गुजरता। पढ़ाई भी में आसमान में उड़ते उड़ते करता। यह विचार करते करते शाम होगई और माताजी ने आवाज दी "राजू पढ़ने जा" और मेरा सपना अधूरा रह गया।

Answered by dk6060805
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यदि मै पक्षी होता

Explanation:

मै घर के बगीचे में बैठा हुआ था | शाम का समय था | आकाश पर काले काले बादल छाए हुए थे | उमड़ते घुमड़ते बादलो के बीच से लम्बी कतार में पक्षी उड़ रहे थे | आकाश में सजी ये वन्दनवार देखकर कवि कालिदास के मेघदूत की वे पंक्तिया स्मरण हो आयी , जहां उन्होंने इन बादलो एवं पक्षियों के रूप पर मुग्ध होकर अनेक श्लोक रच डाले थे | तभी मेरे मन में विचार आया “यदि मैं पक्षी होता” |

यदि मै पक्षी होता तो स्वतंत्रतापूर्वक अपना जीवन यापन करता | धरती का हर कोना , आकाश की समस्त दूरियाँ और क्षितिज सब मेरे होते | मै सुबह से शाम यत्र तत्र भ्रमण करता | हरे-भरे पहाड़ो पर यात्रा करता ,ऊँचे ऊँचे वृक्षों पर अपने घोंसले बनाता , बहते हुए झरनों , कल-कल करती नदियों का जल पीता | प्रकृति की उस सुन्दरता का आनन्द लेता जिसका दर्शन भी मनुष्य नही कर पाया है या जहां उसका हस्तक्षेप नही हुआ है |

यदि मै पक्षी होता तो मनुष्य की तरह घरो , दफ्तरों और स्कुलो में व्यस्त जीवन नही बिताता , जहा लोगो को अपने विषय में सोचने की फुर्सत नही जहां व्यक्ति प्रकृति की रमणीयता का आनन्द नही ले सकता | यदि मै पक्षी होता तो मेरा जन्म प्रकृति की गोद में होता , कोमल किसलय मुझे स्नेहपूर्वक चूम लेते , डालियों की निर्मल छाया में सदा मै डोलता | ऐसे सुरम्य जीवन की कल्पना मात्र ही मुझे रोमाचित कर देती है | न कोई चिंता , न द्वेष , बस प्रकृति और मै | काश मै पक्षी होता और स्वछन्द , उन्मुक्त , बंधनरहित , आंकाषारहित जीवन यापन करता |

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