-- निम्नलिखित में से किसी एक पद्याश की व्याख्या सदर्भ, प्रसग सहित लिखिए
लिखन बैठि जाकी सबी, गहि-गहि गरब गरूर।
भए न केते जगत के, चतुर चितेरे कूर ।।
Answers
Answered by
0
Answer:
hif
f
f
f
f
f
f
f
d
d
d
d
d
d
d
d
Explanation:
Answered by
14
Answer:
संदर्भ- प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सौंदर्य बोध शीर्षक से उद्धृत किया गया है
प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में नायिका की सखी नायक से नायिका के क्षण क्षण बढ़ते हुए यौवन तथा शरीर की क्रांति की प्रशंसा कर रही है
व्याख्या-नायिका की सखी नायक से कह रही है कि भला मैं बेचारी उस नायिका के प्रतिपल बढ़ते हुए सौंदर्य का वर्णन कैसे कर सकती हूं उसका यथार्थ वर्णन करने के लिए अभिमान में भरकर संसार के कितने ही चतुर चितेरे मूढ़मति हो गए पर उस नायिका का चित्रण नहीं कर पाए ।
Similar questions