Hindi, asked by sana1041, 2 months ago

३) निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए।
1) कर्म ही पूजा है।​

Answers

Answered by neelamd802
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Explanation:

जैसा हम देखते है बहुत लोगो को कुछ काम करने से शर्म आती हैं। कुछ लोग काम करने से पहले ही डर जाते हैं और हम ये कभी नहीं सोचते हैं की बिना कोई काम किये कैसे कोई परिणाम मिल सकता हैं।

कुछ लोग तो कोई काम शुरू करने से पहले ही उसके परिणाम की चिंता करने लगते हैं। हमे कोई भी काम सकारात्मक सोच के साथ शुरू करना चाहिए और उस काम को कर्म ही पूजा हैं के विचार से लगातार ईमानदारी से करते जाना चाहिए। इससे हमे हमारे काम में एक दिन जरूर सफलता मिलेगी।

कर्म ही पूजा हैं का अर्थ

कर्म ही पूजा हैं ये शब्द हमारे यहाँ कहावत के तरह इस्तेमाल किये जाते हैं। कई जगह पर इस शब्द को लिखा हुआ भी हमे देखने को मिल जाता हैं। कर्म ही पूजा हैं ये शब्द जितना छोटा हैं उतना ही इस शब्द का मतलब उतना बड़ा हैं।

जैसे भगवन से आश्रीवाद लेने के लिए पूजा एकदम स्वच्छ मन से और लगन के साथ करते हैं, उसी प्रकार अपने काम में सफल होने के लिए हमे अपने काम को पुरे ईमानदारी के साथ और लगन के साथ ही करना होता हैं।

कर्म ही पूजा हैं किसने कहा था?

कर्म ही पूजा हैं हमारे देश के प्रशिद्ध राज नेता महात्मा गाँधी जी ने कहा था। महात्मा गाँधी जी ने इस शब्द को ऐसे ही नहीं कह दिया था। उन्होंने देखा बहुत से लोग काम करने से शरमाते हैं, उन्हें कभी – कभी कोई काम बहुत छोटा लगने लगता हैं। इसी बजह से वो उस काम को नहीं करते हैं, लेकिन कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता सभी काम जरुरी होते हैं।

कर्म ही पूजा हैं

कर्म ही पूजा हैं ये शब्द हमारे जिंदगी में काम का महत्त्व बताता हैं। इस शब्द के माध्यम से काम को पूजा के साथ तोला गया हैं, जिससे हम सोच सकते हैं की कितना ज्यादा इस शब्द का असर हमारे जीवन पर पड़ सकता हैं।

जैसे कोई भी काम करने से पहले हम उसके परिणाम के बारे में चिंता करने लगते हैं। ऐसा सोचते समय कही बार हमारे दिमाग में आ जाता हैं की इस काम को करने में हमें कुछ रूकावट होगी। जिससे हमे उस काम में सफलता पाना मुश्किल हैं यह सोचने लगते है।

लेकिन कर्म ही पूजा हैं शब्द हमे ये प्रेरणा देता हैं की हम जब उस काम में लगातार अपने बुलंद इरादो के साथ लग जाये, तो किसी भी तरह के रूकावट का सामना करना हमारे लिए आसान होगा।

कर्म ही पूजा है शब्द का उल्लेख हिन्दू धर्म के गीता में भी किया गया हैं। जिसमे बताया गया हैं जब शिद्द्त, साफ मन और लगन से पूजा करने से भगवन मिल जाते हैं, तो शिद्द्त, साफ मन और लगन से किसी भी काम को करने से हमें सफलता जरूर मिलेगी।

कर्म ही पूजा शब्द का नारा हमारे देश के महान नेता महात्मा गाँधी जी ने दिया था। इस शब्द से हम सभी को अपने काम में एकता के साथ और ईमादारी के साथ करने की प्रेरणा मिलती हैं।

कुछ लोगो ने बहुत सारे काम को छोटे – बड़े काम का दर्जा दे दिया है, लेकिन ये शब्द हमे ये सिखाता हैं की कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता सारे काम अपने स्तर पर बराबर होते हैं।

जो व्यक्ति कर्म ही पूजा है इस शब्द के अर्थ को अच्छे से समझता हैं, वो अपने कठिन से कठिन परिस्थितो का सामना आसानी से कर लेता हैं। उन्हें कभी अपनी असफलता से घबराहट नहीं होती और उससे वो हमेसा कुछ न कुछ सिखने की कोशिश करते हैं।

कर्म ही पूजा है शब्द का महत्त्व

अगर हम कर्म ही पूजा है इस शब्द को ध्यान में रखकर किसी भी काम को करते हैं, तो हमारा उस काम को करने में मन लगा रहता हैं और उस काम को लगातार करना अच्छा लगता हैं।

कर्म ही पूजा है समझ कर जब हम कोई काम लगातार करते हैं, तो उस काम में हमे जल्दी तरक्की मिलती है जिससे हमे सफलता पाना आसान हो जाता हैं।

ये शब्द हमे अपने काम को करने के इच्छा शक्ति को बढ़ावा देता है और ये हमारे लिए बहुत फायदेमंद होता हैं। क्योकि किसी भी चीज की इच्छा जब हमारे अंदर आ जाती हैं, तो हम उसे पाने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश करते हैं।

कर्म ही पूजा है शब्द से हमे कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं लगता, जो की किसी के जिंदगी में बहुत फायदेमंद होता हैं। जब हम उस काम को अच्छे से सिख ले समझ ले तो वो काम अपने आप में बड़ा हो जाता हैं।

ये शब्द हमे किसी के काम से उसकी तुलना नहीं करनी चाहिए इसकी सिख देता है और ये सिद्धांत मनुष्य के लिए काफी फायदेमंद हैं।

कर्म की पूजा शब्द को विस्तार से हम आपको एक उदहारण के द्वारा समझते हैं। धीरू भाई अम्बानी जिसे शायद ही दुनिया के कुछ लोग ही नहीं जानते हैं। धीरू भाई अम्बानी को नौकरी की तलाश थी, कुछ दिन तलाश करने के बाद उन्हें एक पेट्रोल पंप पे गाड़ी में पेट्रोल भरने की नौकरी मिली।

उन्होंने उस काम को छोटा काम नहीं समझा और उस काम को कर्म ही पूजा हैं इस सिद्धांत से सिद्दत के लगातार करते रहे। उससे उन्हें कुछ – कुछ पेट्रोल पंप के बारे में जानकारी मिलती गई, तो उन्होंने उस जानकारी को इकठा किया और उस व्यापर के बारे में सीखते रहे।

कई साल उन्होंने उस काम को किया और एक दिन उन्हें सभी बाते समझ में आ गई। जब उन्हें पेट्रोल के व्यापर के बारे में जानकारी मिल गयी तो उन्होंने अपना पेट्रोल पंप खोला और उसमे उन्हें सफलता मिली। और आज तक वो सफल व्यक्ति के रूप में याद किये जाते हैं।

इस उदहारण से हमे समझ में आता हैं की अगर धीरू भाई अम्बानी पेट्रोल पंप की नौकरी को छोटा काम समझ कर नहीं करते, तो उनकी जिंदगी नहीं बदलती। लेकिन उन्होंने समझा की कर्म ही पूजा हैं और उस काम से उन्हें बहुत कुछ सिख मिली और वे एक सफल व्यक्ति बन पाए।

हमे अक्सर कंपनी या फक्ट्री में कर्म ही पूजा हैं का पोस्टर लगा हुआ दिखता हैं, चाहे वो कैसा भी काम क्यों न हो। क्योकि इससे हमारा मनोबल बढ़ता हैं और हम उस काम को ईमादारी से करते हैं।

ये पोस्टर छोटे बड़े ऑफिस में लगे होता है, इससे हमारे ऑफिस के सभी सदस्य के बिच में भेद – भाव नहीं होता। उन्हें एक बराबर महसूस होते हैं और सभी एक दूसरे के कामो की कद्र करते हैं।

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