निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर निबंध लिखिये।
a. विद्यालय का वार्षिकोत्सव
भूमिका, ख
मुख्य अतिथि,
कार्यकम एवं समापन, ड.
उपसंहार।
ग
मुख्य अतिथि का स्वागत, घ - सांस्कृतिक
क
Answers
विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध
वार्षिकोत्सव का शाब्दिक अर्थ है- वर्ष के अंत मे होने वाला उत्सव। सभी उत्सवो पर्वों के समान विद्यालय का भी वार्षिक उत्सव होता है। इससे हमें पता चलता है, कि हमारे विद्यालय को बने कितने साल हो गए है। अर्थात इसका पराम्भ कब से हुआ है। और वार्षिकोत्सव मनाते हुए कितना समय हो गया है।
प्रतेक विद्यालय के वार्षिकोत्सव के समान मेरे विद्यालय का भी वार्षिकोत्सव बसंत पंचमी के शुरुआत पर संम्पन्न होता है। इस उत्सव को विधिवत सम्पन्न करने के लिए हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य ओर प्रबंधक लग जाते है। तैयारी में इसके लिए इन दोनों की देखरेख में एक माह पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है। इसमें विद्यालय के सभी अधयापक छात्र ओर कर्मचारी अपना पूरा-पूरा योगदान देते है।
विद्यालय के वार्षिकोत्सव का शुभारंभ हमारे प्रधानचार्य ओर प्रबंधक महोदय की देख रेख में विभिन्न प्रकार के खेल-कूदो, दौड़ आदि कार्यक्रम से हुआ। उसी दिन कविता, कहानी, लेख ,वाचन आदि प्रतियोगी कार्यक्रम हुए। इन सभी कार्यकर्म में भाग लेने वाले विजयी उम्मीदवारों का नाम पुरस्कार के लिए चयन किया गया।
मुख्य अतिथि जी ने शिक्षा के विकास के प्रति अपना लम्बा वक्तव्य प्रस्तुत किया। इसके माध्य्म से उन्होंने हमारे विद्यालय के विकास की बहुत प्रंशसा की। ओर अपनी दिशाबोध भी दिया। इसके बाद हमारे कक्षाअद्यक्ष ने संचालन को आगे बढ़ाते हुए अंत मे सभाअध्यक्ष प्रदेश के शिक्षा मंत्री से अपना विचार व्यक्त करने के लिए सादर अनुरोध किया। सभाध्यक्ष प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने शिक्षा के स्वरूप ओर आवश्यकता पर अपना विचार व्यक्त किया। इसके बाद उन्होंने शिक्षा का महत्व और उपयोगिता पर प्रकाश डाला है। अंत मे उन्होंने हमारे विद्यालय के विकास के लिए एक अपना अनुदान देने का वचन दिया। तालियों की गड़गड़ाहट से उनके उस अनुदान देने का बार-बार स्वागत किया गया।
सभा के अंत मे मुख्य अतिथि ने विद्यालय के योग्य ओर प्रतियोगिता में सफल होने वाले छात्रों को विद्यलय की ओर से पुरुस्कार वितरित किया। सबसे आखरी में प्रधानाचार्य ने उपस्थित अतिथियों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया और अंत मे सभी को मिष्ठान वितरण किया गया।
विद्यालय के वार्षिकोत्सव के समापन के दुसरे दिन सभी समाचार पत्रों में विद्यालय की प्रसंशा प्रकाशित हुई थी। इसे पढ़कर हम छात्र फुले नही समा रहे थे। यही नही हमारे परिवार वाले हमारे सगे-सम्बन्धी ओर सभी लोग विद्यालय की सराहना कर रहे थे। हमने मन ही मन इस विद्यालय का छात्र होने के लिए अपने आप को धन्य समझ रहे थे।