निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए | परिवर्तन संसार का नियम संकेत बिंदु – प्रकृति परिवर्तनशील है....जीवन में निरंतर परिवर्तन...सकारात्मक दृष्टिकोण
Answers
Answer:
hope u understand plz mark me as a Brainliest
Explanation:
परिवर्तन प्रकृति का नियम है
परिवर्तन प्रकृति का नियम है , इसे हमें मानना होगा। हमें समझना पड़ेगा क्या है यह नियम। जैसे हमारे भारत में छ मौसम है , इसी तरह सारे दुनिया में भी कई मौसम है , जब गर्मी सुरु होती है तो धीरे धीरे गर्मी लगती है और कभी कभी अचानक भी बहुत गर्मी पड़ती है। अगर इस गर्मी में हम धीरज न धरके सयंम खो बैठे तो हमें ही तकलीफ होगी। साथ में साथ में रहनेवाले को भी। अगर हम इस गर्मी को मान ले और धीरज पूर्वक मन को संतुलित करके उपयुक्त व्यवस्था करे और उसको अपनाये , तो हमें आराम मिलेगा और मन की शांति भी मिलेगी। कियुकी वषंत ऋतू के बाद गर्मी का मौसम का आना अनिवार्य है। यह प्रकृति का नियम है। इसमें हमारी कोई नहीं चलेगी। हम लाखो कौशिश करके भी कुछ नहीं कर सकते है। गर्मी को अपने हिसाब से बदल नहीं सकते है। वषंत ऋतू के बाद को गर्मी का मौसम आना ही है। हम ज्यादा से ज्यादा घर में पंखा या एयर कंडीशनर लगा सकते है, मगर गर्मी को बदल नहीं सकते है। सबसे पहले हमें उस गर्मी को या उस परिवर्तन को स्वीकार करना होगा , क्युकी वो हमारे हाथ में नहीं है। अगर हम इस गर्मी को वर्दास्त नहीं कर पाये तो बीमार पड़ जाएंगे। जितना ज्यादा हम उसे ना स्वीकार करने का प्रयास करेंगे उतना ज्यादा तकलीफ पायेंगे। क्युकी तकलीफ पहले मन को होता है उसके बाद शरीर को होता है। हमारी सहन शक्ति को बढ़ाने की जरुरत पड़ेगी। तो पहेले स्वीकार करना होगा उसके बाद मन का संतुलन को सम्भालना होगा फिर धैर्य रख के उस का व्यवस्था करना पड़ेगा। यही हाल सब ऋतू की है। कियुकी मौसम बदलना प्रकृति का स्वाभाव है। जो की परमात्मा के नियम के आधार पर है। यही हाल हमारे जीवन में भी देखा जाता है। मनुष्य के जीवन में भी कई परिवर्तन आते है , जनम से शिशु अवस्था , शैशव से किशोर अवस्था, किशोर से यौवन अवस्था , यौवन से प्रौढ़ अवस्था। इसके इलावा भी सादी, नौकरी , स्थान परिवर्तन वगेरा बहुत सारे परिवर्तन हमारे जीवन में आते है। सुख भी आते है दुःख भी होते है। मगर हम मनुष्य इस परिवर्तन के हर परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते है क्युकी हर परिवर्तन हमारा मन चाहा नहीं होता। हम चाहते कुछ और होता है कुछ और। ज्यादातर देखा गया है इस परिवर्तन को नहीं स्वीकार लेने के कारण हम दुखी हो जाते है।