निम्नलिखित में से रूस के संविधान को संविधान के विचार का ही क्षण निश्चित बताया है
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के संविधान में कई परिवर्तनों की घोषणा की है. राष्ट्रपति पुतिन की इस घोषणा को ज़्यादातर जानकार, 2024 के पश्चात रूस के राजनीतिक नेतृत्व का निर्धारण करने की दिशा में पहले क़दम के तौर पर देख रहे हैं. 11 फ़रवरी 2020 को रूस की संसद के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा में संविधान में किए जाने वाले संशोधन को लेकर दोबारा परिचर्चा शुरु हुई. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने संविधान में संशोधन के प्रस्तावों की घोषणा 15 जनवरी 2020 को केंद्रीय असेंबली को अपने संबोधन में की थी. और इन संविधानों पर पहली मुहर लगाने की प्रक्रिया एक सप्ताह से भी कम समय में पूरी हो गई थी. 20 जनवरी तक ड्यूमा ने प्रथम परिचर्चा के पश्चात इन संशोधनों को सर्वसम्मति से हरी झंडी दे दी थी. ऐसा माना जा रहा था कि इन संविधान संशोधनों पर रशियन स्टेट ड्यूमा के दोबारा मुहर लगाने की परिचर्चा 11 फ़रवरी से शुरू होगी. पर फिलहाल ये प्रक्रिया आरंभ नहीं हुई है. राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तावित संशोधनों एवं विपक्ष के साथ-साथ 72 सदस्यों वाले वर्किंग ग्रुप के सुझावों पर अब एक जनमत संग्रह 22 अप्रैल को होने की संभावना है.
हालांकि, रूस के राजनीतिक हलकों की गतिविधियों में आई इस तीव्रता से अगर किसी को ये अपेक्षा थी कि रूस के सामने खड़े प्रमुख प्रश्नों, 2024 के बाद पुतिन का उत्तराधिकारी कौन होगा और स्वयं पुतिन का उसके बाद क्या रोल होगा, के उत्तर मिलेंगे. लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है. हालांकि, ये तो स्पष्ट है कि रूस के संविधान में ये संशोधन, पुतिन के उत्तराधिकार की प्रक्रिया की शुरुआत हैं. और इनका नेतृत्व स्वयं व्लादिमीर पुतिन कर रहे हैं. लेकिन, इस संबंध में अन्य जानकारियां सामने नहीं आ पा रही हैं.