निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर किसी समारोह का वृत्तांत लेखन कीजिए :
*स्थान *तिथि और समय
* समारोह * अतिथि संदेश
*समापन
* प्रमुख अतिथि
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हिंदी दिवस २०२० : हमारे देश में हिंदी दिवस हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता है | हिन्दी दिवस के दौरान शैक्षिक संसथान, सरकारी ऑफिस व अन्य संस्थानों में कई कार्यक्रम मनाये जाते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिन्दी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है। यह दिवस हमारी मातृ भाषा, हिंदी के सम्मान में समर्पित होता है| आज के इस पोस्ट में हम आपको हिंदी दिवस का वृत्तांत लेखन समारोह के लिए प्रदान कर रहे हैं| जिसे आप अपने संस्थानों में समारोह प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| हिंदी दिवस कब मनाया जाता है हिंदी दिवस को प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है | यह हिंदी भाषा को बढ़ावा प्रदान करने के लिए मनाये जाने वाला एक वार्षिक समारोह है। यह दिवस पूरे भारत में हिंदी भाषी क्षेत्रों में मनाया जाता है। भारत में इस दिन एक प्रायोजित कार्यक्रम कार्यालयों, स्कूलों, फर्मों आदि में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर का जश्न मनाने के पीछे सरकार का प्राथमिक उद्देश्य हिंदी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा देना और फैलाना है। वृत्तांत लेखन हिंदी दिवस स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी और अध्यापकों को विद्यालय में मनाया गया हिंदी दिवस वृत्तांत लेखन, हिंदी दिवस पर लेख, वृत्तांत लेखन हिंदी में की जानकारी चाहिए होती है| इसी की जानकारी आज हम आपको प्रदान करने जा रहे हैं| जिसे आजकल कोरोना काल में इस्तेमाल करना पड़ रहा है| बड़ी भाषा हिंदी है। उन्होंने कहा कि अब हिंदी राष्ट्र भाषा की गंगा से विश्व भाषा का महासागर बन रही है। विद्यार्थियों को आधुनिकता एवं अंग्रेजीयत से अलग होकर हिन्दी की रोचकता और महत्ता को जानने पहचानने की जरूरत है। आज हिंदी भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में बोली समझी जाने वाली विश्व भाषाओं में अपनी पहचान स्थापित कर चुकी है और शब्दों की संख्या के आधार पर भी विश्व की सबसे बड़ी भाषा हिंदी बन गई है।आज विद्यार्थियों के बीच अंग्रेजी भाषा के प्रति बढ़ते लगाव और हिंदी भाषा की अनदेखी करने की वजह से हिंदी प्रेमी बेहद निराश हैं। यही वजह है कि हर साल देशभर के लोगों को अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति जागरूक करने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत में भले ही अंग्रेज़ी बोलना सम्मान की बात मानी जाती हो, पर विश्व के बहुसंख्यक देशों में अंग्रेज़ी का इतना महत्त्व नहीं है। हिंदी बोलने में हिचक का एकमात्र कारण पूर्व प्राथमिक शिक्षा के समय अंग्रेज़ी माध्यम का चयन किया जाना है। आज भी भारत में अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों का दाख़िला ऐसे स्कूलों में करवाना चाहते हैं, जो अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा प्रदान करते हैं। जबकि मनोवैज्ञानिकों के अनुसार शिशु सर्वाधिक आसानी से अपनी मातृभाषा को ही ग्रहण कर पाता है और मातृभाषा में किसी भी बात को भली-भांति समझ सकता है। अंग्रेज़ी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है। अत: भारत में बच्चों की शिक्षा का सर्वाधिक उपयुक्त माध्यम हिंदी ही है। सबसे बड़ी बात हिंदी भाषा जैसे लिखी जाती है, वैसे बोली भी जाती है। दूसरी भाषाओं में कई अक्षर साइलेंट होते हैं और उनके उच्चारण भी लोग अलग-अलग करते हैं, लेकिन हिंदी के साथ ऐसा नहीं होता, इसीलिए हिंदी को बहुत सरल भाषा कहा जाता है। हिंदी कोई भी बहुत आसानी से सीख सकता है। हिंदी अति उदार, समझ में आने वाली सहिष्णु भाषा होने के साथ भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका भी है। भारत की मौजूदा शिक्षा पद्धति में बालकों को पूर्व प्राथमिक स्कू्ल ही अंग्रेज़ी के गीत रटाये जाते हैं। यदि घर में बालक बिना अर्थ जाने ही आने वाले अतिथियों को अंग्रेज़ी में कविता सुना दे तो माता-पिता का मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है।इस मौके पर { धन्यवाद देने वालो का नाम } सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं चेतना सत्र में शामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाया।14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। सरकारी विभागों में हिंदी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। साथ ही हिंदी प्रोत्साहन सप्ताह का आयोजन किया जाता है। स्कूलों में भी हिंदी प्रतियोगिताएं आयोजित करायी जाती है। हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है और इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। हिंदी के महत्व को बताने और इसके प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 1953 से प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए पहल की थी। गांधी जी ने हिंदी को जनमानस की भाषा भी बताया था। लिए जिम्मेदार है कुछ हिन्दी प्रेमियों का संकीर्ण नजरिया। हिन्दी के विकास में सबसे बड़ी बाधा वो शुद्धतावादी हैं जो इसमें से फारसी, अरबी, तुर्की और अंग्रेजी इत्यादि भाषाओं से आए शब्दों को निकाल देना चाहते हैं। ऐसे लोग संस्कृतनिष्ठ तत्सम शब्दों के बोझ तले कराहती हिन्दी को “सच्ची हिन्दी” मानते हैं। लेकिन यहाँ मशहूर भाषाविद प्रोफेसर गणेश देवी को याद करने की जरूरत है जो कहते हैं भाषा जितनी भ्रष्ट होती है उतनी विकसित होती है।