निम्नलिखितानां पदानां सन्धि-विच्छेदः करणीयः-(निम्न पदों का सन्धि विच्छेद कीजिए-)
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ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं। जैसे - अ/आ + अ/आ = आ
अ + अ = आ --> धर्म + अर्थ = धर्मार्थ / अ + आ = आ --> हिम + आलय = हिमालय / अ + आ =आ--> पुस्तक + आलय = पुस्तकालय|
इ + इ = ई --> रवि + इंद्र = रवींद्र ; मुनि + इंद्र = मुनींद्रइ + ई = ई --> गिरि + ईश = गिरीश ; मुनि + ईश = मुनीशई + इ = ई- मही + इंद्र = महींद्र
उ + उ = ऊ- भानु + उदय = भानूदय ; विधु + उदय = विधूदयउ + ऊ = ऊ- लघु + ऊर्मि = लघूर्मि ; सिधु + ऊर्मि = सिंधूर्मिऊ + उ = ऊ- वधू + उत्सव = वधूत्सव
गुण संधि में अ, आ के आगे इ, ई हो तो ए ; उ, ऊ हो तो ओ तथा ऋ हो तो अर् हो जाता है। इसे गुण-संधि कहते हैं। जैसे -
(क) अ + इ = ए ; नर + इंद्र = नरेंद्र
अ + ई = ए ; नर + ईश= नरेशआ + इ = ए ; महा + इंद्र = महेंद्रआ + ई = ए महा + ईश = महेश
(ख) अ + उ = ओ ; ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश ;
आ + उ = ओ महा + उत्सव = महोत्सवअ + ऊ = ओ जल + ऊर्मि = जलोर्मि ;आ + ऊ = ओ महा + ऊर्मि = महोर्मि।
(ग) अ + ऋ = अर् देव + ऋषि = देवर्षि
घ) आ + ऋ = अर् महा + ऋषि = महर्षि