निम्नलिखित पंक्ति का भाव स्पष्ट करो :-
दो न्याय अगर तो आषा दो
पर इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पांच ग्राम
रखो अपनी धरती तमाम
हम वहीं खुशी से खाएंगे,
परिजन पर असि न डेठाएंगे।"
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दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम॥ हम वही खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे। दुर्योधन वह भी दे न सका, आशिष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।
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