Hindi, asked by Mohdrehanafianhu9120, 7 months ago

। निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
"सहनशीलता क्षमा दया को तभी पूजता जग है
बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है"
अथवा
इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
"जीवन की नौका खेने को साहस की पतवार चाहिए.
अपने पर विश्वास न जिनको, माझी वही बहकते देखे" please guys jaldi answer dijiye​

Answers

Answered by m0hinisharma
0

Answer:

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Answered by TejaswiniSherke
2

सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है -----(राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर ) क्षमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उत्पात , ... क्षमा करके आप खुद पर एहसान करेंगे किसी और पर नहीं। वह या वे तमाम लोग जिन्होंने कभी आपकी भावनाओं को आहत किया है उन्हें आपके दर्द का पता ही नहीं है।

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