निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए −
(क) अविश्रांत बरसा करके भी
आँखे तनिक नहीं रीतीं
(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी
(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर
(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी
Answers
(क) सुखिया का पिता जेल में बंद हमेशा रोता रहा। वह अपनी बेटी की इच्छा पूरी न कर पाने के कारण मन ही मन तड़पता रहा। लगातार होने पर भी उसकी आंखों से आंसू कम नहीं हुए । मन की पीड़ा आंखों के रास्ते बहती ही रही।
(ख) श्मशान में सुखिया की बेटी की चिता बुझी पड़ी थी। सगे-संबंधी उसे जला कर जा चुके थे। पिता का दिल बेटी की चिता को धधक उठा था।
(ग) बेटी महामारी की चपेट में आ गई थी। हर समय चंचल रहने वाली अटल खामोशी से चुपचाप पड़ी हुई थी ।वह कोई गति नहीं कर रही थी।
(घ) लोगों में सुखिया के पिता को इस अपराध में पकड़ लिया था कि वह बीमार बेटी के लिए देवी मां के चरणों का एक फूल प्रसाद रूप में प्राप्त करने के लिए मंदिर में प्रवेश कर गया था। भक्तों को लगा था कि उसने बहुत अनर्थ कर दिया था। उसने देवी का अपमान किया था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
Explanation:
उत्तर क:
बेटी के पिता की आंखें अपनी बेटी की मृत्यु के दुःख में लगातार रो -रोकर भी खाली नहीं हुईं थीं अर्थात एक लाचार पिता इस समाज के कड़े नियम के आगे अपनी बेटी को खोकर लगातार उसकी याद में रो रहा था।
उत्तर ख:
एक पिता अंतिम समय में अपनी बेटी को देख भी नहीं पाया उसका अंतिम संस्कार भी न कर सका अपनी बेटी की बुझी चिता को देखकर उसकी छाती में भी दुःख की ज्वाला धधक उठी ।
उत्तर ग:
एक पिता के सामने उसकी बच्ची जो एक पल भी शांत नहीं बैठती थी जिसकी खिखिलाहट से वह पिता रोमांचित होता था आज वही बच्ची बीमार होकर अटल शांति को धारण किए हुए पड़ी हुई थी।
उत्तर घ:
बीमार बच्ची का पिता अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए माँ के चरणों का फूल लेने मंदिर में गया था। उसका दोष केवल इतना ही था कि वह अछूत था जिसके कारण उसके कृत्य को अनर्थ माना गया मंदिर को अपवित्र करने का दोषी ठहराया गया ।