निम्नलिखित पंक्तियों के अर्थ लिखिए-
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अंध भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ!
मिल जावें जिसमें अखिल व्यक्ति।
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Answer:
जग-जीवन में जो चिर महान यह कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है ।
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अंध भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ!
मिल जावें जिसमें अखिल व्यक्ति।
Explanation:
कवि का इस पंकित से आशय है कि कवि ईश्वर से शक्ति मांग रहे हैं , जिससे भय , संशय , अंधभक्ति दूर हो सके । हम उस शक्ति से भय , संशय , अंधभक्ति को अपने अंतरात्मा से दूर कर सकें । कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि मैं वह प्रकाश बन सकूं जिससे मुझे अखिल व्यक्ति बनने का अवसर मिले ।
इसका सारांश है कि अपने आप को भय , संशय , अंधभक्ति से दूर रख कर मानव सेवा करना और लोक कल्याण करके अपना जीवन सार्थक बनाना ।
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