निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए
(क) नत नयनों से आलोक उतर
(ख) श्रृंगार रहा जो निराकार
(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला
(घ) यदि धर्म, रहे नत सदा माथ
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भावार्थ
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उपरोक्त पंक्तियां कवि श्री निराला की किले संग्रह "सरोज स्मृति" से ली गई हैं। इन पंक्तियों मैं निरालाजी अपनी बेटी सरोज के विवाह के समय को याद करके बताते है कि ऐसा लग रहा था कि उनकी बेटी सरोज के नैनो में पूरा आकाश ही समा गया है।दुल्हन के श्रृंगार में वो उन्हें उनकी स्वर्गवासी पत्नी की याद दिला रही है।
नीरालाजी अपनी बेटी से बोहोत प्रेम करते थे और बोहोत दुख की बात है कि उनकी बेटी की
मृत्यु युवावस्था मै ही हो गई थी।
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