निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए :
(1) वैभव-विलास की चाह नहीं, अपनी कोई परवाह नहीं,
बस यहीं चाहता हूँ केवल, दान की देव सरिता निर्मल,
करतल से झरती रहे सदा,
निर्धन को भरती रहे सदा।
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कर्ण श्रीकृष्ण से कहता है की के केशव ! आप मुझे राज्य देने का प्रलोभन दे रहे है, परंतू मै वैभव-विलास का जीवन पसंद नही करता | मुझे अपनी कोई चिंता नही है | मुझे दान देने मे रुचि है | इसलिए मै केवल यही चाहता हू की मै गरीबो को हमेशा दान देता रहू और उनके दु:ख दूर करता रहु |
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