Hindi, asked by akshusaini53, 1 month ago

) निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए। विश्व में हे फूल! तू सबके हृदय भाता रहा, दान कर सर्वस्व फिर भी हाय हर्षाता रहा। जब न तेरी ही दशा पर दुःख हुआ संसार को, कौन रोएगा सुमन! हम से मनुज निस्सार को?​

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Answered by skmausam83
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महादेवी वर्मा की फूल पर लिखी हालांकि जीवन गति की स्थितियां बयां करती हैं, किंतु यह कविता बेटियों के करुणामय जीवन सटीक बयां करता है। फूल की जगह बेटियां बचपन से वह जीवन जीती हैं जब कभी भी उनके डाली से टूटने का डर होता है और डाली से टूटकर वह फूल सबके लिए उपेक्षित वस्तु होती है. अपनी इस हालत पर फूल भी कुछ नहीं कर सकता. 'बेटी दिवस' पर पाठकों के लिए प्रस्तुत है यह कविता:

था कली के रूप शैशव में, अहा सूखे सुमन

हास्य करता था, खिलाता अंक में तुझको पवन

खिल गया जब पूर्ण तू मंजुल, सुकोमल फूल बन

लुब्ध मधु के हेतु मंडराने लगे उड़ते भ्रमर

स्निग्ध किरणें चंद्र की, तुझको हंसाती थी सदा,

रात तुझ पर वारती थी मोतियों की संपदा

लोरियां गा कर मधुप निद्रा-विवश करते तुझे

यत्न माली का रहा आनंद से भरता तुझे

कर रहा अठखेलियां इतरा रहा उद्यान में

अंत का ये दृश्य आया था कभी क्या ध्यान में?

सो रहा अब तू धरा पर, शुष्क बिखराया हुआ

गंध कोमलता नहीं, मुख मंजु मुरझाया हुआ

आज तुझको देखकर चाहक भ्रमर आता नहीं

लाल अपना राग तुझपर प्रीत बरसाता नहीं

जिस पवन ने अंक में ले प्यार तुझको था किया

तीव्र झोकों से सुला उसने तूझे भू पर दिया.

कर दिया मधु और सौरभ दान सारा एक दिन

किंतु रोता कौन हैं तेरे लिए दानी सुमन

मत व्यथित हो पुष्प, किसको सुख दिया संसार ने

स्वार्थमय सबको बनाया है यहां करतार ने

विश्व में हे फूल! तू सबके ह्रदय भाता रहा

दान कर सर्वस्व फिर भी हाय! हर्साता रहा

जब ना तेरी ही दशा पर दुःख हुआ संसार को

कौन रोएगा सुमन हमसे मनुज निःसार को

Answered by rajeevsingh89036
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Answer:

लेखक बदलू की किस बात पर प्रसन्न हुआ लाख की चोडिया

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